पटना। लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव ने बुधवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया है।
पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद को लिखे पत्र में यादव ने कहा कि राजद की नीति से वे सहमत नहीं रह गए हैं। राजद में केवल राज के लिए नीति चल रही है। जबकि राज और नीति में सामंजस्य जरूरी है। सिद्धांत के बिना राजनीति का मतलब आत्मा के बिना शरीर है।
उनकी बड़ी नाराजगी झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधान पार्षद सुमन महासेठ को महागठबंधन का उम्मीदवार बनाने को लेकर है।
‘झंझारपुर से यदि किसी…’
उन्होंने कहा कि झंझारपुर से यदि किसी समाजवादी विचारधारा वाले कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाया जाता तो आसान जीत मिल सकती थी। सिर्फ झंझारपुर ही नहीं, छह-सात अन्य लोकसभा सीटों पर भी उम्मीदवारों का आयात किया गया। इन सभी सीटों पर पार्टी के कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाया जाता तो उन्हें कोई शिकायत नहीं थी।
यादव ने कहा कि अपने कार्यकर्ताओं के बदले सांप्रदायिक सोच वाले किसी व्यक्ति को झंझारपुर से उम्मीदवार बनाने की घटना से वह बुरी तरह आहत हुए हैं। मेरी अंतरात्मा कह रही है कि राजद में एक क्षण भी नहीं रहना चाहिए।
पांच बार सांसद रह चुके देवेंद्र यादव
देवेंद्र प्रसाद यादव झंझारपुर से पांच बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि झंझारपुर समाजवादियों की धरती है। इस धरती की सांप्रदायिक ताकतों के हाथों नीलामी वह बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने लिखा- मैं अपनी राजनीति कर्म व जन्म भूमि तथा झंझारपुर की समाजवादी धरती के साथ छल नहीं कर सकता।
मालूम हो कि देवेंद्र प्रसाद यादव 1989, 1991 एवं 1996 में एकीकृत जनता दल, 1999 में जदयू ओर 2004 में राजद टिकट पर झंझारपुर से सांसद रह चुके हैं। वे एचडी देवेगौड़ा की सरकार मे केंद्रीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे। बीच में उन्होंने समाजादी जनता दल डेमोक्रेटिक का गठन किया था, जिसका राजद में विलय हो गया था।