नई दिल्ली, । तमिलनाडु में कुन्नूर के पास एक सैन्य हेलीकाप्टर दुर्घटना में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन ने बड़ा सवाल उठाया है कि दुर्घटना कैसे हुई। भारतीय वायु सेना के अधिकारी दुर्घटना के कारण का पता लगाने के लिए सभी प्रासंगिक डेटा और सामग्री एकत्र कर रहे हैं, जिससे जनरल रावत सहित कई सशस्त्र बलों के अधिकारियों की मौत के कारण का पता लगाया जा सके।
IAF की तकनीकी टीम ने इसके मद्देनजर हेलीकाप्टर का ब्लैक बाक्स बरामद कर लिया है, जिसके बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि हादसे को लेकर कुछ और बातें स्पष्ट हो सकेंगी। बता दें कि ये एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रानिक उपकरण है, जिसे फ्लाइट डेटा रिकार्डर के रूप में भी जाना जाता है, जो एक उड़ान के बारे में 88 महत्वपूर्ण मापदंडों को रिकार्ड करता है, जिसमें एयरस्पीड, ऊंचाई, काकपिट बातचीत और हवा का दबाव भी शामिल है। जब कोई दुर्घटना होती है, तो ब्लैक बाक्स का काम बढ़ जाता है, यानी प्राथमिकता के आधार पर यह समझने के लिए जरूरी होता है कि वास्तव में दुर्घटना का कारण क्या है।
इस ब्लैक बाक्स के अंदर चलते चोपर में उसके चालक और कंट्रोल रूम तथा लोकेशन मास्टर आदि के बीच हुई वार्ता सहित तमाम जानकारियां स्वत: फीड हो जाएंगी जो दुर्घटना के बाद जांच में मददगार साबित होंगी।
ब्लैक बाक्स क्या है?
ब्लैक बाक्स न तो काले रंग का होता है और न ही बाक्स के आकार का होता है, बल्कि वास्तव में एक कंप्रेसर के आकार का उपकरण होता है जो उच्च दृश्यता वाले नारंगी रंग में बना होता है। विशेषज्ञ इस बात से अंजान हैं कि उपनाम की उत्पत्ति कैसे हुई, लेकिन कई इतिहासकार 1950 के दशक में आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वारेन को इस आविष्कार का श्रेय देते हैं। बता दें कि भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करने के लिए सभी वाणिज्यिक एयरलाइनर और सशस्त्र बलों के लिए काकपिट ध्वनियों और डेटा से सुराग को संरक्षित करने के लिए एक ब्लैक बाक्स अनिवार्य है।