नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। कोर्ट 19 मार्च को इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
IUML ने की रोके लगाने की मांग
केंद्र सरकार द्वारा सीएए के लिए नियम जारी करने के एक दिन बाद केरल स्थित राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। केरल स्थित राजनीतिक दल ने मांग की कि इस कानून पर रोक लगान की जरूरत है और इसके जरिए मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए।
IUML के अलावा, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI), असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैका और असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक और अन्य ने भी नियमों पर रोक लगाने के लिए आवेदन दायर किए।
याचिका में क्या कहा गया?
- याचिका में कहा गया है कि ये कानून स्पष्ट रूप से मनमाने हैं और केवल उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों के एक वर्ग के पक्ष में अनुचित लाभ पैदा करते हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत अनुमति योग्य नहीं है।
- याचिका में ये भी कहा गया कि चूंकि सीएए धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, यह धर्मनिरपेक्षता की जड़ पर हमला कर रहा है, जो संविधान की मूल संरचना है।
क्या है CAA कानून?
बता दें कि सीएए 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया और अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। सीएए 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ। यह कानून उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का काम करता है, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागे और उन्होंने 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में शरण ली थी।