एसआर इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाली गार्गी पटेल के इतने अंकों के पीछे कोई तो योजना रही होगी? वह इस प्रश्न को स्वीकार नहीं करतीं। कहती हैं कि न कोई टाइम टेबल बनाया, न ही मां ने कभी टोका-टाकी की। जब मन हुआ पढ़ने बैठ गई, फिर तब तक टेबल से नहीं उठी, जब तक मन संतुष्ट नहीं हो गया। खुद को महसूस होने लगा कि आज पर्याप्त पढ़ाई कर ली, तब गाने भी सुने और फिल्म देखने से भी परहेज नहीं किया। मोबाइल फोन का उपयोग पढ़ाई में किया, इसी से मनोरंजन भी होता रहा।
छोटी उम्र में बड़ी सीख देने वाली गार्गी कहती हैं… कठिन कुछ नहीं होता। सबकुछ सरल हो सकता है, बस हमारा मस्तिष्क यह स्वीकारने को तैयार हो जाए। केमिकल इंजीनियर पिता हृदेश कुमार चंडीगढ़ में मैकेनिकल इंजीनियर हैं, इसलिए अधिकतर समय वहीं व्यतीत होता है। बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक मां चित्रा दोपहर को स्कूल से ग्रीन पार्क स्थित घर आतीं तो उन्हीं के साथ बैठकर पढ़ने लगती थी। इसके बाद कभी महसूस नहीं हुआ कि कोचिंग पढ़नी चाहिए। भविष्य के सपने साझा करते हुए वह कहती हैं कि डाक्टर या इंजीनियर बनने के बारे में नहीं सोचा है। सिविल सेवा में जाना चाहती हूं ताकि लोगों के बीच रहकर काम कर सकूं। इस परीक्षा में जीआरएम स्कूल की मानसी 99.6 प्रतिशत अंक पाकर दूसरे स्थान पर हैं।
12वीं में स्वाति मंडल टापर
सीबीएसई 12 वीं के परीक्षा परिणाम में जीआरएम स्कूल की स्वाति ने मंडल में सर्वाधिक 99.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उन्होंने भी कभी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। बोलीं, कोरोना काल ने इंटरनेट से पढ़ाई का सशक्त माध्यम से दे दिया। किसी विषय में उलझ जाती तो इंटरनेट का सहारा मिल जाता था।