चंडीगढ़: पंजाब में वर्ष 2017 में सामने आए 30 हजार करोड़ रुपये के ड्रग्स रैकेट केस में आखिरकार पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले से जुड़ी तीन सीलबंद रिपोर्ट्स खोल दीं। इसके साथ ही पंजाब सरकार को इनके आधार पर कार्रवाई के आदेश भी दिए। वहीं, ड्रग्स रैकेट केस में फंसे पुलिस अधिकारियों की जांच की सीलबंद रिपोर्ट खोले जाने की मांग को लेकर दायर अर्जी पर हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 15 फरवरी तक जवाब मांगा है।
शुक्रवार को मामले की सुनवाई जस्टिस जीएस संधावालिया एवं जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ में शुरू हुई। कोर्ट में खोली गईं रिपोर्ट्स में पूर्व डीजीपी सुरेश अरोड़ा व पूर्व आइएएस अधिकारी एनएस कलसी की रिपोर्ट भी शामिल है। इसमें हरप्रीत सिद्धू (तत्कालीन एसटीएफ प्रमुख) की रिपोर्ट से सहमति जताई गई थी। ए
क रिपोर्ट विदेश मंत्रालय के पूर्व उप निदेशक दीपक चौहान ने नशा तस्करों के प्रत्यर्पण के संबंध में दायर की थी। दो अन्य रिपोर्ट्स प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पूर्व उप निदेशक निरंजन सिंह ने दायर की थीं। हाई कोर्ट तीन रिपोर्ट खोलने के बाद रजिस्ट्रार (ज्यूडिशियल) को फोटोकापी सरकार को देने के आदेश दिए। पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया कि रिपोर्ट में पूर्व मंत्री व शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर जो आरोप लगे हैं, उसके आधार पर उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज की जा चुकी है।
ईडी ने कहा था, मजीठिया से पूछताछ जरूरी
ईडी ने 2017 में रिपोर्ट में कहा था कि ड्रग्स रैकेट केस में बिक्रम सिंह मजीठिया से पूछताछ किए जाने की जरूरत है। एसटीएफ ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जांच में कई ऐसी बातें सामने आई हैं, जिसके तहत आगे जांच की जरूरत है। हाई कोर्ट ने तब पंजाब सरकार से जवाब मांगा था।
23 मई, 2018 को सरकार ने सीलबंद रिपोर्ट पर अपनी राय हाई कोर्ट को सौंप दी थी। 2021 में हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि वह इस पर कार्रवाई कर सकती है। इसके बाद मजीठिया के विरुद्ध 20 दिसंबर, 2021 को मोहाली में नशारोधी कानून के तहत एफआइआर दर्ज की गई थी। मजीठिया को जेल भी जाना पड़ा। अभी वह जमानत पर हैं।
पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
एडवोकेट नवकिरण सिंह ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर कहा कि ड्रग्स केस में फंसे मोगा के तत्कालीन एसएसपी राजजीत सिंह, इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह और अन्य अधिकारियों के विरुद्ध डीजीपी सिद्धार्थ चटोपाध्याय के नेतृत्व वाले एसआइटी ने जांच कर 2018 में हाई कोर्ट को सीलबंद रिपोर्ट सौंपी थी।
एक रिपोर्ट अलग से सौंपी गई थी। इन दोनों रिपोर्ट्स पर कार्रवाई की मांग पर हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर कहा गया कि अब तक सरकार ने क्या कार्रवाई है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। ऐसे दागी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई बेहद जरूरी है। इस पर हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 15 फरवरी तक जवाब मांगा है।