नई दिल्ली । Chinese Visa Case में सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति के करीबी भास्कर रमन को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में ये पहली गिरफ्तारी है। मंगलवार को सीबीआई ने चिदंबरम के देशभर में करीब सात ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी के बाद चिदंबरम ने ट्वीट किया था कि जांच एजेंसी को इस दौरान कुछ नहीं मिला। उन्होंने ये भी लिखा था कि सीबीआई ने इस दौरान जो पेपर दिखाए उसमें उनका नाम बतौर आरोपी शामिल नहीं था।
क्या है पूरा मामला
ये मामला पैसे लेकर वीजा दिलाने से जुड़ा है। इसमें चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम भी फंसे हुए हैं। सीबीआइ ने इस मामले में जो एफआइआर दर्ज की है उसके अनुसार ये मामला 2011 का है। उस वक्त पी चिदंबरम गृह मंत्री थे। एक चीनी कंपनी शानडोंग इलेक्टि्रक पावर कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (सेप्को) को पंजाब के मनसा में पावर प्लांट बनाने का ठेका तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) से मिला था।
सेप्को की मांग
पावर प्लांट के निर्माण में हो रही देरी और समय पर काम पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में लगने वाले भारी जुर्माने से बचने के लिए सेप्को को अतिरिक्त चीनी विशेषज्ञों को लाने की सख्त जरूरत थी। लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा ऐसी कंपनियों के लिए जारी होने वाले वीजा की संख्या सीमित होने के कारण सेप्को विशेषज्ञों को नहीं ला पा रही थी।
भास्कररमन का जिक्र
सीबीआइ के अनुसार ऐसे में टीएसपीएल के वाइस प्रेसिडेंट विकास मखारिया ने पी चिदंबरम के करीबी एस भास्कर रमन से संपर्क किया। भास्कररमन ने 50 लाख रुपये के एवज में काम कराने का भरोसा दिया। उसके बाद चीनी कंपनी के 263 विशेषज्ञों के वीजा को बढ़ा दिया गया। इसके बाद फर्जी इनवाइस के जरिये 50 लाख रुपये की रकम मुंबई की कंपनी बेल टूल्स लिमिटेड को भेजी गई और वहां से वह रकम भास्कररमन और कार्ति चिदंबरम तक पहुंच गई।
कार्ति का ऐसा सामने आया नाम
इनवाइस में साफ तौर पर वीजा के नवीनीकरण में आने वाले अतिरिक्त खर्च का जिक्र था, जबकि बेल टूल्स ने कभी इस तरह की कंसलटेंसी नहीं दी थी। सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार चीनी नागरिकों को वीजा जारी किए जाने और 50 लाख रुपये की लेन-देन के सिलसिले में भास्कररमन और विकास मखारिया के बीच लगातार ईमेल पर संवाद होता रहा। भास्कर रमन सभी ईमेल कार्ति चिदंबरम को फारवर्ड करते रहे।
कार्ति के खिलाफ पुख्ता सुबूत होने का दावा
सीबीआइ का कहना है कि इस मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ उसके पास पुख्ता इलेक्ट्रानिक व अन्य सुबूत हैं। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निश्चित रूप से वीजा रिन्यू किए जाने के बारे में तत्कालीन गृह मंत्री और गृह सचिव को जानकारी रही होगी और उनके निर्देश पर ही यह किया गया होगा, लेकिन इसके लिए 50 लाख रुपये की लेनदेन के बारे में उन्हें पता था या नहीं, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है।