1- गाजियाबाद स्थिति यशोदा अस्पताल के एमडी डा. पीएन अरोड़ा का कहना है कोरोना वायरस का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इसके स्वरूप में लगातार बदलाव हो रहा है। इसलिए सावधानी की जरूरत अभी भी है। इसके लिए केंद्र सरकार लगातार गाइड लाइन जारी कर रही है। इस पर पूरी नजर रखना होगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कोरोना वायरस के लक्ष्ण क्या है। कोरोना वायरस अलग-अलग लोगों को भिन्न-भिन्न तरह से प्रभावित करता है। संक्रमित हुए अधिकतर लोगों को थोड़े से लेकर मध्यम लक्षण तक की बीमारी होती है और वे अस्पताल में भर्ती हुए बिना ठीक हो जाते हैं।
2- उन्होंने कहा कि यह जानना जरूरी है कि कोरोना वायरस के लक्ष्ण क्या है। कोरोना से संक्रमित मरीजों में आम लक्ष्ण है बुखार, खांसी, थकान। उन्होंने कहा यह भी देखा गया है कि कोरोना से संक्रमित मरीजों में स्वाद और गंध का पता नहीं चल रहा है। डा अरोड़ा का कहना है कि इसके अलावा गले में खरास, सिरदर्द भी बना रहता है। कोरोना के सामान्य लक्ष्णों में त्वचा पर चकत्ते आना या हाथ या पैर की उंगलियों में रंग बदलना भी शामिल है। अगर किसी मरीज को ऐसे लक्ष्ण दिख रहे हैं तो उसे तत्काल अपनी जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा मरीजों को भारत सरकार की गाइड लाइन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
3- डा अरोड़ा का कहना है कि देश में पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना वायरस संक्रमण में वृद्धि देखी जा रही है। 10 राज्यों महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और गुजरात में 1,000 से अधिक सक्रिय मामले हैं। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है। इस सवाल पर कि क्या भारत में कोरोना वायरस की चौथी लहर की गुंजाइश है। इस पर उनका कहना है कि वायरस की प्रकृति को समझना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कोरोना वायरस अपना वैरिंएट बदल रहा है। ऐसे में हमको सावधानी बरतनी चाहिए। भारत में कोरोना की तीन लहर से हमने अच्छा अनुभव प्राप्त किया है। भारत सरकार किसी भी लहर से निपटने के लिए ज्यादा सक्षम है, लेकिन सावधानी बेहद जरूरी है। इसके लिए सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का प्रयोग जरूर करना चाहिए। अगर हम कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते रहेंगे तो यह नौबत नहीं आएगी।
4- डा. अरोड़ा का कहना है कि इस वक्त देश में स्वास्थ्य का आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ है। कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के बाद देश में स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हुई है। आज देश में करीब 18.03 लाख से ज्यादा आइसोलेशन बेड का इंतजाम है। इसके अलावा 1.24 लाख आइसीयू बेड के इंतजाम है। देश में 3.236 आक्सीजन के प्लांट है। इनकी क्षमता 3,783 मीट्रिक टन है। 1,14 लाख आक्सीजन कंसंट्रेटर केंद्र ने राज्य सरकार को मुहैया कराए हैं। देश में 150 करोड़ वैक्सीन के डोज दिए जा चुके हैं। एक बड़ी आबादी को दो डोज मिल चुकी है। ऐसे में यह उम्मीद कम है कि देश में कठोर लाकडाउन की स्थिति बनेगी। फिलहाल कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो स्थिति काबू में हैं। लाकडाउन से बचने के लिए हमें सरकार की गाइड लाइन और सुझावों पर कठोरता से अमल करना होगा। कोरोना प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करना होगा।