नई दिल्ली, । कामनवेल्थ के पहले ही दिन जो कुछ हुआ उसे आप हौसले और जुनून की जीत कह सकते हैं। भारतीय दल में सबसे छोटी 14 साल की अनाहत सिंह ने स्क्वैश के वुमेंस सिंगल्स में पहला मैच जीतकर मेडल की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। हालांकि रास्ता बेहद मुश्किल है लेकिन अनाहत ने एक चैंपियन की तरह कामनवेल्थ का आगाज किया है। शुक्रवार को स्क्वैश के वुमेंस सिंगल्स के राउंड आफ 64 में उन्होंने जीत के साथ शुरुआत कर सबको चौंका दिया। अनाहत ने सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के जैडा रॉस को 11-5, 11-2, 11-0 से हराकर राउंड आफ 32 दौर में प्रवेश कर लिया।
दिल्ली की 9वीं कक्षा की छात्रा, बर्मिंघम में भारतीय दल की सबसे कम उम्र की सदस्य हैं। उन्होंने राष्ट्रीय चयन ट्रायल में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद कामनवेल्थ खेलों के लिए क्वालीफाई किया।
अनाहत ने फाइनल में हांगकांग की एना क्वांग पर 11-7, 12-10, 11-5 से जीत के साथ एशियाई जूनियर व्यक्तिगत स्क्वैश चैंपियनशिप में लड़कियों के अंडर-15 का खिताब जीता था। यह उनका पहला एशियाई खिताब और कुल मिलाकर आठवां (अंतर्राष्ट्रीय) खिताब था।
भारत और एशिया में अंडर-15 वर्ग में शीर्ष क्रम की खिलाड़ी अनाहत ने पिछले साल दिसंबर में यूएस जूनियर स्क्वाश ओपन जीत कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। उन्होंने भारत के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पदक भी जीते हैं, जिसमें ब्रिटिश जूनियर स्क्वैश ओपन 2019 में स्वर्ण, उसके बाद 2020 में एक रजत पदक शामिल है।
अनाहत ने नैन्सी, फ्रांस में विश्व जूनियर्स स्क्वैश चैंपियनशिप 2022 के लिए भी क्वालीफाई किया है, जो 9 अगस्त से शुरू हो रही है। वह टूर्नामेंट में भाग लेने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय होंगी। उम्मीद है कि अनाहत की जीत का सिलसिला आगे भी जारी रहे और वह देश के लिए मेडल लाकर इतिहास रचे।