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Delhi: पाकिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप को लाने को लेकर डीएसजीएमसी और अकाली दल आमने-सामने


 नई दिल्ली । पाकिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब के पुराने स्वरूप को लाने को लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) आमने-सामने है। डीएसजीएमसी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, शिअद बादल के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना पर पुराने स्वरूपों को दिल्ली लाने में बाधक बनने का आरोप लगा रहे हैं।

सरना पलटवार करते हुए कालका पर गुरु ग्रंथ साहिब के पुराने स्वरूपों को अग्नि को भेंटकर समाप्त करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए इन्हें धार्मिक दंड देने की मांग कर रहे हैं।

परमजीत सिंह सरना आइएसआइ के एजेंट की तरह काम कर रहे हैंः कालका

कालका ने कहा कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत की गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से डीएसजीएमसी को गुरुग्रंथ साहिब के दो सौ पुराने स्वरूपों की सेवा मिलने वाली थी, क्योंकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) सहित अन्य संस्थाएं इसके लिए तैयार नहीं हुईं। वाघा बार्डर के रास्ते 16 जनवरी को स्वरूप आने थे और डीएसजीएमसी ने इसकी तैयारी कर ली थी, लेकिन सरना इसमें बाधा बन गए। शिअद बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व जागो के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके कई बार सरना को आइएसआइ का एजेंट बता चुके हैं और अब यह साबित भी हो गया है।

उन्होंने कहा कि एसजीपीसी बड़ी संस्था है, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी निभाने से भाग रही है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पुराने स्वरूपों की सेवा व संभाल दिल्ली में गुरुद्वारा मजनू का टीला और पंजाब में गोविंदवाल साहिब में की जाती है। गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को छापने और इन्हें अग्नि भेंट करने की सेवा भी सिर्फ एसजीपीसी और डीएसजीएमसी के पास है।डीएसजीएमसी अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं भागेगी।

कालका हिंदुत्ववादी ताकतों के पगड़ीधारी एजेंट की तरह काम कर रहे हैंः सरना

सरना ने कहा कि डीएसजीएमसी के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। कालका व मनजिंदर सिंह सिरसा भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और हिंदुत्ववादी ताकतों के पगड़ीधारी एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। दोनों पाकिस्तान से पुराने स्वरूप दिल्ली लाकर अग्नि को भेंट करना चाहते थे।

वह सिख विरासत को समाप्त करने की साजिश रच रहे थे लेकिन पाकिस्तान सरकार को इसकी जानकारी मिल गई जिससे उन्हें पुराने स्वरूप नहीं दिए गए। उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से इन्हें धार्मिक दंड देने की मांग की। उन्होंने श्री अकाल तख्त से सिख धर्म व इतिहास को जानने वाले विद्वानों की टीम पाकिस्तान भेजने की भी मांग की जिससे कि गुरु ग्रंथ साहिब के दो सौ पुराने स्वरूपों की स्थिति की जांच हो सके। एसजीपीसी को इन्हें संभालने की सेवा मिलनी चाहिए।