नई दिल्ली, विवाद और विरोध के कारण नामांकन के अंतिम दिन भाजपा को घोषित प्रत्याशियों की सूची में बदलाव करना पड़ा है। नौ घोषित प्रत्याशियों की जगह नए लोगों को मैदान में उतारने का फैसला करना पड़ा। इस बदलाव का असर दूसरे वार्डों पर न पड़े इसलिए पार्टी के नेता इस संशोधन को छिपाने की कोशिश में लगे रहे। वहीं, टिकट न मिलने से नाराज कई वार्डों में बगावत शुरू हो गई है। कई नेताओं ने निर्दलीय नामांकन भरकर भाजपा उम्मीदवार की राह मुश्किल करने की घोषणा कर दी है। सांसदों, पार्टी नेतृत्व और अन्य नेताओं के बीच गुटबाजी की वजह से न सिर्फ घोषित प्रत्याशियों के नाम बदलने पड़े बल्कि कार्यकारी जिला अध्यक्षों की घोषणा रद करनी पड़ी।
पहली सूची जारी होने के बाद से ही शुरू हुआ था विवाद
भाजपा ने शनिवार रात को 232 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी। इसे लेकर विवाद शुरू हो गया था। कई सांसदों के साथ ही टिकट की उम्मीद लगाए नेता भी नाराजगी जता रहे थे। हर्ष विहार और सुंदर नगरी से ऐसे नेताओं को टिकट दे दिया गया जिनका दिल्ली के मतदाता सूची में नाम नहीं है।
कई लोगों ने की थी पार्टी नेतृत्व से शिकायत
कई लोगों ने टिकट बंटवारे पर प्रश्न उठाते हुए पार्टी नेतृत्व से इसकी शिकायत की थी, जिस कारण कई घंटे तक प्रत्याशियों की सूची पर रोक लगी रही थी। रविवार देर रात नौ वार्डों में बदलाव का फैसला किया गया। दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के चार, पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तीन और उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के दो वार्डों में प्रत्याशियों में बदलाव किया गया है।
कार्यकारी जिला अध्यक्षों को लेकर लड़ाई
भाजपा ने चार जिला अध्यक्षों को निगम चुनाव में उतारा है। वहीं, दो अध्यक्षों की पत्नी चुनाव मैदान में हैं। इनके चुनाव लड़ने से जिले में चुनाव प्रबंधन का काम बाधित न हो इसके लिए कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा की गई, लेकिन कुछ घंटों में ही नियुक्ति पत्र रद कर दी गई। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने रविवार मध्य रात्रि ट्वीट कर चांदनी चौक, नवीन शाहदरा, शाहदरा, महरौली, उत्तर पश्चिम और नजफगढ़ जिलों के कार्यकारी अध्यक्षों की घोषणा की।
विवाद बढ़ने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने रद की नियुक्ति
बताते हैं सांसदों व अन्य नेताओं से चर्चा किए बिना जिला अध्यक्षों की घोषणा की गई जिससे विरोध शुरू हो गया। सबसे ज्यादा विरोध महरौली जिला से आजाद सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का हुआ। तीन वर्ष पहले इन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। कुछ दिनों पहले इनकी घर वापसी हुई है। इन्हें कार्यकारी जिला अध्यक्ष बनाने का सांसद रमेश बिधूड़ी ने विरोध किया। इसी तरह से अन्य कई नामों का विरोध था। विवाद बढ़ता देख प्रदेश अध्यक्ष ने सोमवार दोपहर लगभग डेढ़ बजे ट्वीट कर नियुक्ति रद करने की घोषणा कर दी।