देवरिया, । बालू के अवैध खनन की जांच में जुटी सीबीआइ टीम बुधवार की सुबह जिले में पहुंची। पहले दिन टीम ने पत्रावलियों का अवलोकन किया। खनन से जुड़े एक व्यक्ति से पूछताछ की। साथ ही छोटी गंडक नदी के घाटों का निरीक्षण भी किया।
छोटी गंडक नदी के घाटों का भी किया गया निरीक्षण
सीबीआइ नई दिल्ली के डिप्टी एसपी अशरफ सिद्दीकी के नेतृत्व में आई तीन सदस्यीय टीम को सिंचाई विभाग के डाक बंगले में ठहराया गया है। अवैध खनन से जुड़ी पत्रावलियों को खंगाला। इसके बाद रामपुर कारखाना क्षेत्र के एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुलाया। उससे घंटों पूछताछ की। उसके बाद टीम छोटी गंडक नदी के हेतिमपुर, सबबट, अहिरौली, कोटवा व रतनपुरा घाटों का भी निरीक्षण किया।
पूर्ववर्ती सरकार में हुए अवैध खनन के मामले की हो रही जांच
पूर्ववर्ती बसपा व सपा सरकार में छोटी गंडक नदी व सरयू नदी में हुए बालू के अवैध खनन के मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। सीबीआइ ने जुलाई 2019 में तत्कालीन डीएम विवेक, एडीएम डीएस उपाध्याय, खनन निरीक्षक पंकज कुमार सिंह, विजय मौर्य के साथ ही बरईपुर निवासी ठीकेदार फूलबदन निषाद व शाहजहांपुर निवासी शारदा यादव समेत आठ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था।
तत्कालीन डीएम व एडीएम के विरुद्ध खनन के पट्टे का नवीनीकरण करने में अनदेखी व खनन निरीक्षकों व अन्य कर्मचारियों ने एमएम-11 फार्म गलत तरीके से जारी करने का आरोप है। खनन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर आरोप है कि उसने वर्ष 2009 में फूलबदन निषाद के नाम से छोटी गंडक नदी के सबवट से अहिरौली तक, कोटवा से रतनपुरा तक तीन वर्ष के लिए गलत तरीके से बालू खनन का पट्टा जारी किया था।
इसी तरह से शारदा यादव के नाम से हेतिमपुर में बालू खनन का पट्टा आवंटित गया था। पट्टे की अवधि बीत जाने के डेढ़ साल तक बालू खनन कर ठीकेदार ने अधिकारियों की मिली भगत से करोड़ों रुपये राजस्व की चोरी की। नियमों की अनदेखी कर अफसरों ने पट्टों का नवीनीकरण कर दिया। मूल पत्रावलियां सीबीआइ के कब्जे में है, जिसमें कई बिंदुओं का जवाब टीम तलाश रही है।