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G20 समिट में ब्लिंकन ने चीनी विदेश मंत्री से की मुलाकात


ब्लिंकन ने बैठक में कहा कि चीन ने ताइवान के संबंध में तनाव बढ़ा दिया है और अमेरिका ‘‘एक-चीन की अपनी नीति” को जारी रखना चाहता है। इस नीति में अमेरिका चीन के दावे को तो मान्यता देता है लेकिन साथ ही ताइवान के साथ अनौपचारिक और रक्षा संबंध भी रखता है।  गौरतलब है कि चीन ने अक्टूबर की शुरुआत में अपने राष्ट्रीय दिवस के सप्ताह में दक्षिण पश्चिम ताइवान में 149 सैन्य विमान भेजे थे। इसकी वजह से ताइवान को भी जवाब में अपने विमानों को भेजना पड़ा था और अपनी वायु रक्षा प्रणाली सक्रिय करनी पड़ी थी। बाइडेन ने चीन को आगाह करते हुए कहा था कि उसके हमलों की स्थिति में ताइवान की अपनी रक्षा करने में मदद के लिए अमेरिका की दृढ़ प्रतिबद्धता है।

ब्लिंकन ने रविवार को कहा कि ताइवान के साथ संबंध अधिनियम के तहत लंबे समय से चली आ रही अमेरिकी नीति में ‘ कोई बदलाव नहीं’ हुआ है, जो ‘‘सुनिश्चित करता है कि ताइवान अपनी रक्षा करे और हम इसके साथ हैं।” उन्होंने कहा कि बाइडन की यह प्रतिबद्धता सीनेटर रहने के दौरान से ही रही है। उल्लेखनीय है कि चीन और ताइवान वर्ष 1949 के गृहयुद्ध में अलग हो गए थे। अमेरिका ने साम्यवादी चीन को मान्यता देने के लिए वर्ष 1979 में ताइवान से औपचारिक संबंध खत्म कर दिए थे। अमेरिका खुले तौर पर चीन के ताइवान पर दावे का विरोध नहीं करता है। लेकिन वह कानून के तहत प्रतिबद्ध है कि द्वीपीय देश अपनी रक्षा स्वयं कर सके और उसके प्रति सभी खतरों को गंभीर चिंता का विषय मानता है।

ब्लिंकन ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन के बाद स्कॉटलैंड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन हो रहा है और अमेरिका उम्मीद करता है कि चीन दुनिया के भले के लिए एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के तौर पर अपने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती लाए। दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता के दौरान कारोबार पर विस्तार पर चर्चा नहीं हुई और बातचीत मुख्यत: राजनीतिक विषयों पर केंद्रित रही। दोनों नेताओं ने व्यापार के मुद्दों पर बात नहीं की और न ही चीन के हाल में परमाणु संपन्न हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण पर चर्चा की गयी।