गोरखपुर। नियमों को धता बताने वाले डॉक्टरों व अस्पतालों की कलई खुलने लगी है। एक से अधिक अस्पतालों में डॉक्टरों का पंजीकरण स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। अभी तक की जांच में सात से अधिक डॉक्टर चिह्नित किए हैं, जो कई अस्पताल संभाल रहे हैं। इनके पर तो कार्रवाई होगी ही, इसमें शामिल विभाग के कर्मचारी भी बख्शे नहीं जाएंगे। दो कर्मचारी रडार पर हैं।
रोगियों की जान से खिलवाड़ करने का धंधा कर रहे है ये लोग
भटहट के सत्यम हॉस्पिटल के पंजीकृत डॉक्टर के तीन माह से शहर के बाहर रहने और वहां रोगियों का उपचार व ऑपरेशन होने का मामला सामने आने के बाद सभी अस्पतालों की जांच शुरू कर दी गई है। जांच में अभी तक सात से अधिक डॉक्टर ऐसे मिले हैं जो फुल टाइमर हैं और कई अस्पतालों में काम करने का उन्होंने हलफनामा दे रखा है। पार्ट टाइम व फुल टाइम की आड़ में ऐसे अस्पतालों का धंधा खूब फल-फूल रहा है, जो रोगियों का दोहन करते हैं। जहां अप्रशिक्षित लोग ऑपरेशन कर रोगियों की जान ले लेते हैं।
तैयार की जा रही इन डॉक्टरों की सूची
फुल टाइम काम करने का हलफनामा देने वाले डॉक्टरों की सूची तैयार की जा रही है। जिनका नाम एक से अधिक अस्पतालों में सामने आ रहा है। उनकी अलग सूची बनाई जा रही है। अभी तक चिह्नित सात डॉक्टरों ने तीन-चार अस्पतालों में काम करने का हलफनामा दिया है और उन्हें विभाग ने अनुमति भी प्रदान की है। इसके साथ ही ऐसे डॉक्टरों की भी तलाश की जा रही है जिनके नाम पर एक से अधिक अस्पताल रजिस्टर्ड हैं अथवा अस्पताल रजिस्टर्ड कराने के बाद वे शहर से बाहर चले गए हैं। केवल पंजीकरण का नवीनीकरण कराने आते हैं। एक सप्ताह के अंदर जांच पूरी होने की उम्मीद है।
क्या कहते हैं अधिकारी
सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि सभी अस्पतालों की जांच चल रही है। सात से अधिक डॉक्टर ऐसे चिह्नित किए गए हैं जो फुल टाइम तीन से चार अस्पतालों में काम करने का हलफनामा दिए हैं, जबकि यह नियमानुसार सही नहीं है। एक डॉक्टर एक अस्पताल में ही फुल टाइम उपचार कर सकता है। ऐसे डॉक्टरों की भी पहचान की जा रही है जिनके नाम से एक से अधिक अस्पताल पंजीकृत हैं या वे किसी अस्पताल का अपने नाम पर पंजीकरण कराने के बाद शहर से बाहर रहते हैं। उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाएगी। एक सप्ताह में जांच पूरी कर ली जाएगी।
जिले में अस्पताल व क्लीनिक
- सदर- 749
- सहजनवां- 11
- खजनी- 14
- गोला- 35
- चौरीचौरा- 19
- कैंपियरगंज- 39
- बांसगांव- 10
स्वास्थ्य विभाग बचाता रहा, एसडीएम ने किया सील
नई बाजार में जब भी स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच करने पहुंचती थी कृष्णा हास्पिटल बंद मिलता था। यह अपंजीकृत अस्पताल रोगियों का उपचार कर रहा था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसे बचाता रहा। टीम आंख मूंदकर चली आती थी। एसडीएम शिवम सिंह ने जब तीन दिन पूर्व निरीक्षण किया तो अस्पताल खुला मिला। वहां कोई डाक्टर नहीं मिला। इसे सील कर दिया गया।