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Haridwar: सहारा इंडिया की 544 बीघा जमीन की खरीद पर रोक, प्रापर्टी डीलरों में हड़कंप


हरिद्वार : बहादराबाद में सहारा इंडिया कंपनी की 544 बीघा जमीन की खरीद-फरोख्त पर जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। आरोप है कि निवेशकों को भुगतान करने की बजाए उन्हें गुमराह करते हुए अरबों रुपये की जमीन की खरीद-फरोख्त की जा रही थी।

एक शिकायत पर राजस्व अनुभाग के सयुंक्त सचिव ने जिलाधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने गुरुवार को जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए। जिससे खरीद-फरोख्त से जुड़े प्रापर्टी डीलरों में हड़कंप मच गया।

हाईवे किनारे सहारा इंडिया परिवार की सैकड़ों बीघा जमीन

बहादराबाद क्षेत्र में बाईपास पर हाईवे किनारे सहारा इंडिया परिवार की सैकड़ों बीघा जमीन स्थित है। कंपनी की ओर से अपनी कई सहायक कंपनियों में निवेशकों का करोड़ों रुपये लगवाया गया है।

पिछले कुछ दिनों से इस जमीन पर प्लाटिंग का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा था। कई निवेशकों ने शासन में इसकी शिकायत की। जिसमें कंपनी पर कई गंभीर आरोप लगाते गए। निवेशकों का आरोप उन्हें धन लौटाने के बजाए गुमराह कर उनका धन हड़पने की कोशिश की जा रही है।

आरोप है कि उनकी गाढ़ी कमाई से ली गई जमीन को कंपनी के अधिकारी औने-पौने दामों में बेचकर भागने की फिराक में हैं। निवेशकों ने शासन को भेजे शिकायती पत्र में जमीन से जुड़े हुए दस्तावेज भी पेश किए। जिस पर राजस्व अनुभाग के सयुंक्त सचिव कृष्ण सिंह ने जिलाधिकारी को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया था।

जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय की ओर से जमीन की तत्काल प्रभाव से खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं, सेबी को इस बारे में जानकारी भेजी जा रही है। कार्रवाई से कंपनी की जमीन को खरीदकर प्लाटिंग करने की योजना बना रहे प्रोपर्टी डीलरों में भी हड़कंप मच गया।

जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने कहा कि किसी को भी कानून के उल्लंघन की अनुमति नहीं होगी। चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। उन्होंने बताया कि लगभग 544 बीघा जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई है।

चंद महीनों में बिके 387 प्लाट

जमीन पर प्लाटिंग और खरीद-फरोख्त का काम इतनी तेज रफ्तार से चल रहा था कि डीलरों ने चंद महीनों के भीतर 387 प्लाट भी बेच डाले। जबकि चार-चार बीघा की कई डील हो चुकी थी।

ऐसा बताया जा रहा है कि लगभग 250 बीघा जमीन तो पहले चरण में ही बिक चुकी थी। बाकी जमीन में लगभग आधी की सौदेबाजी चल रही थी। कंपनी अधिकारी और डीलरों की तैयारी थी कि चार महीने के भीतर पूरी जमीन बेचकर अरबों रुपये समेट लिया जाए।