शिमला। केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री रहते हिमाचल को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिलाने वाले जगत प्रकाश नड्डा दूसरी बार केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री बने हैं। अब हिमाचल को उनसे फिर कई उम्मीदें हैं।
पांच वर्ष में प्रदेश के अस्पतालों में कई ढांचागत बदलाव दिख सकते हैं। अपने पहले कार्यकाल में नड्डा ने हिमाचल को एम्स दिया था। अब यह बिलासपुर में बनकर तैयार है और क्रियाशील हो गया है।
हिमाचल प्रदेश को मिल सकता है पहला ट्रामा सेंटर
नड्डा ने हर जिले में एक ट्रामा सेंटर बनाने का फैसला किया था। यह प्रोजेक्ट अभी तक अधर में लटका है। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला में न्यू ओपीडी में अलग से ट्रामा सेंटर बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन अब तक यह शुरू नहीं हो पाया है।
अब उम्मीद है कि हिमाचल का पहला ट्रामा सेंटर शिमला में शुरू होगा और इसके बाद हर जिला में ट्रामा सेंटर शुरू होंगे। एम्स बिलासपुर में देश के बड़े डाक्टर आते हैं तो हिमाचल ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों को भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा लाभ मिल सकता है।
एम्स में आधुनिक मशीनों की कमी से परेशान हैं लोग
एम्स शुरू हो गया है लेकिन अब भी गंभीर बीमारियों के मरीजों को प्रदेश से बाहर जाना पड़ता है। हिमाचल के अस्पतालों में आधुनिक मशीनों की कमी के कारण मरीजों को बाहर से टेस्ट करवाने पड़ते हैं। कई टेस्ट करवाने के लिए अस्पताल में कई माह बाद की तिथि मिलती है।
ऐसे में मरीजों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। जगत प्रकाश नड्डा के दूसरी बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनने से प्रदेश के अस्पतालों में आधुनिक मशीनें आने की उम्मीद बढ़ गई है।
2014 से 2019 तक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे हैं नड्डा
जगत प्रकाश नड्डा नौ नवंबर, 2014 से 24 मई, 2019 तक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे हैं। जून 2019 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व जनवरी 2020 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था।
बिलासपुर के रहने वाले नड्डा का जन्म दो दिसंबर, 1960 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से कानून की पढ़ाई की। 1993 में बिलासपुर से पहली बार विधायक बने थे।