नई दिल्ली। खुदरा महंगाई दर पिछले चार महीनों से छह फीसद से अधिक चल रही है और अप्रैल महीने में यह दर 7.8 फीसद के साथ पिछले आठ साल के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक इस महंगाई के लिए वैश्विक परिस्थिति के साथ घरेलू स्तर पर हो रहे आर्थिक विकास को भी जिम्मेदार माना जा सकता है क्योंकि इससे खपत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कंज्यूमर ड्यूरेबल की खरीदारी के लिए लोन में हो रही बढ़ोतरी, गोल्ड लोन में कमी, मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या में कमी के साथ आयात में होने वाली लगातार बढ़ोतरी घरेलू स्तर पर मांग में मजबूती दर्शा रही है। गत अप्रैल में आयात बिल से पेट्रोलियम पदार्थ और सोने-चांदी के आयात मूल्य को हटाने के बाद भी अन्य वस्तुओं के आयात में 29.68 फीसद की बढ़ोतरी दिख रही है जो घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग और मांग में मजबूती को दर्शाता है। अप्रैल माह में रिकार्ड जीएसटी कलेक्शन, निर्यात, बिजली की खपत, पेट्रोल-डीजल की खपत एवं हवाई यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ मैन्यूफैक्चरिंग व सर्विस इंडेक्स में मजबूती आर्थिक विकास को जाहिर कर रहा है। चौदहवें वित्त आयोग के सदस्य रह चुके अर्थशास्त्री सुदिप्तो मंडल कहते हैं कि अभी जो महंगाई है उसके लिए वैश्विक परिस्थिति के साथ पिछले छह महीनों से मांग में होने वाली बढ़ोतरी भी जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं बढ़ने से कीमतें बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि अभी की महंगाई में आयातित महंगाई का भी हाथ है।
एचडीएफसी बैंक की वरिष्ठ अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने बताया कि अधिक विकास दर से महंगाई का दबाव बढ़ता है। फिलहाल की स्थिति में सप्लाई बाधित होने से महंगाई प्रभावित हो रही है, वहीं कुछ सेक्टर में खासकर सर्विस सेक्टर में मांग में होने वाली बढ़ोतरी से भी महंगाई बढ़ रही है। वित्त मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन महीनों से कंज्यूमर ड्यूरेबल वस्तुओं की खरीदारी को लेकर लिए जाने वाले लोन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस साल मार्च में इस लोन में पिछले साल मार्च के मुकाबले 60 फीसद की बढ़ोतरी रही। अप्रैल में भी कमोबेश यह रुख जारी है। दूसरी तरफ सोना गिरवी रखकर लिए जाने वाले लोन में कमी आई है जो इस बात को दर्शाता है कि लोगों को अब नकदी की दिक्कतें कम हो रही हैं। फरवरी में गोल्ड लोन की बढ़ोतरी दर 26.8 फीसद थी जो मार्च में घटकर 21 फीसद रह गई। इस साल मार्च में करंट सिचुएशन इंडेक्स के माध्यम से आरबीआइ की तरफ से किए गए उपभोक्ता भरोसा (कंज्यूमर कंफीडेंस) में बढ़ोतरी भी इस बात को जाहिर करता है कि वैश्विक चुनौती व महंगाई के दबाव के बावजूद घरेलू स्तर पर बेहतर आर्थिक स्थिति की वजह से रोजगार में बढ़ोतरी के साथ घरेलू आय व खर्च में इजाफा हो रहा है।