कोलंबो (श्रीलंका),: श्रीलंका के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने ने शनिवार को देश को दी गई मानवीय सहायता (humanitarian assistance) के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीयों को धन्यवाद दिया।
श्रीलंका में भारतीय उच्च दूतावास ने ट्विटर पर कहा कि द्वीप देश के पीएम ने पीएम मोदी के एक बधाई पत्र के जवाब में उल्लेख किया कि दोनों देशों के बीच दोस्ती का संबंध और मजबूत और फले फूलेगा। उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका पिछले कुछ वर्षों में कई क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से फायदेमंद साझेदारी के रूप में फले-फूले हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को एक बधाई पत्र में श्रीलंका के पीएम गुणवर्धने को द्वीप राष्ट्र को भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया।
उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि श्रीलंका अपने लोगों की समृद्धि और कल्याण सुनिश्चित करते हुए त्वरित आर्थिक सुधार का गवाह बनेगा।
श्रीलंका को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार आर्थिक सहायता प्रदान करने में भारत सबसे आगे रहा है और उन देशों में से एक है जिसने आवश्यकता के समय में अधिकतम सहायता प्रदान की है।
2022 की शुरुआत के बाद से, श्रीलंका ने एक बढ़ते आर्थिक संकट का अनुभव किया है और सरकार ने अपने विदेशी ऋणों पर चूक की है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी कि 5.7 मिलियन लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है।
पिछले दो महीनों के दौरान सरकार और भारत के लोगों द्वारा दान की गई 25 टन से अधिक दवाओं और चिकित्सा आपूर्ति का मूल्य श्रीलंका रुपये (एसएलआर) 370 मिलियन के करीब है। यह लगभग 3.5 बिलियन अमरीकी डालर की आर्थिक सहायता और चावल, दूध पाउडर और मिट्टी के तेल जैसी अन्य मानवीय सहायता की आपूर्ति के अतिरिक्त है।
ये मानवीय आपूर्ति भारत सरकार द्वारा श्रीलंका के लोगों को वित्तीय सहायता, विदेशी मुद्रा सहायता, सामग्री आपूर्ति और कई अन्य रूपों में जारी समर्थन की निरंतरता में है।
ये प्रयास साबित करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘पड़ोसी पहले’ नीति (‘neighbourhood first’ policy) जो लोगों से लोगों को जोड़ कर रखती है, वो अभी भी सक्रिय है।
भारत श्रीलंका का एक मजबूत और पारस्परिक रूप से लाभप्रद भागीदार है। महामारी और उर्वरक अराजकता के दौरान सहायता के अलावा, भारत द्वीप राष्ट्र को बुनियादी उत्पाद भी दान कर रहा है।
श्रीलंका में फरवरी से ही डीजल की किल्लत चल रही है, जिसके कारण रोजाना घंटों बिजली कटौती होती है। वर्तमान में, श्रीलंका भोजन और बिजली की कमी से जूझ रहा है, जिससे देश अपने पड़ोसियों से मदद लेने के लिए मजबूर है।
COVID-19 महामारी के दौरान पर्यटन पर रोक के कारण विदेशी मुद्रा की कमी को मंदी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। देश पर्याप्त ईंधन और गैस नहीं खरीद पा रहा है, जबकि लोग बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं।