पटना। पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने नगालैंड में जदयू के एक मात्र विधायक और पार्टी की राज्य इकाई के भाजपा को समर्थन देने की घोषणा का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि अब नीतीश कुमार अपनी पार्टी में विद्रोह का सिलसिला रोक नहीं पाएंगे। मोदी ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि बिहार में पहले उपेंद्र कुशवाहा और फिर पूर्व सांसद मीना सिंह ने तेजस्वी प्रसाद यादव को उत्तराधिकारी घोषित करने और कांग्रेस से समझौता करने के विरुद्ध जदयू से इस्तीफा दिया।
यह आग नगालैंड तक पहुंच गई। जदयू ने नगालैंड विधानसभा की आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई और जो जीते, उन्होंने भाजपा को बिना शर्त समर्थन दे दिया।
मोदी ने कहा कि नगालैंड चुनाव में जदयू ने करोड़ों रुपये खर्च किए थे। वहां नीतीश कुमार भी सभा करने गए थे, लेकिन पार्टी केवल एक सीट जीत पाई।
हताश जदयू ने भले ही अपनी नगालैंड इकाई को भंग कर विधायक को दल से निकाल दिया, लेकिन इससे पार्टी में विद्रोह को दबाया नहीं जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि नगालैंड चुनाव में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी जदयू का वोट प्रतिशत घट गया। पार्टी राष्ट्रीय दल का दर्जा नहीं प्राप्त कर सकी।
मोदी ने कहा कि जो पार्टी राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर अपना अस्तित्व नहीं बचा सकती, उसके नेता राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष को एक कर प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं।
जदयू ने अपनी नगालैंड इकाई को किया भंग
बता दें कि जदयू ने अपनी नगालैंड इकाई को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। जदयू के उत्तर-पूर्व प्रभारी अफाक अहमद खान ने गुरुवार को इस आशय की जानकारी दी।
जदयू के उत्तर-पूर्व प्रभारी ने बताया कि जल्द ही नई कमेटी का गठन किया जाएगा। नगालैंड विधानसभा चुनाव में जदयू के एकमात्र प्रत्याशी की जीत हुई थी।
जदयू विधायक ने पार्टी की अनुमति के बगैर सत्ताधारी एनडीपीपी को अपना समर्थन दे दिया था। इकलौते विधायक रहने की वजह से उनके विरुद्ध कार्रवाई का कोई मामला नहीं बनता था।
इसके तुरंत बाद नगालैंड में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने सत्ताधारी एनडीपीपी को अपना समर्थन का पत्र दे दिया। इसके बाद जदयू का नेतृत्व सक्रिय हुआ।
यह कहा गया कि प्रदेश इकाई ने बगैर पार्टी नेतृत्व को सूचित किए अपने स्तर से सत्ताधाारी एनडीपीपी के साथ जाने का फैसला ले लिया। यह अनुशासनहीनता की परिधि में है।
इसके बाद पार्टी की नगालैंड इकाई को भंग किए जाने का फैसला लिया। अफाक अहमद खान ने बताया कि जल्द ही नगालैंड की नई इकाई अस्तित्व में आ जाएगी।
पार्टी काफी सूक्ष्मता से नगालैंड में चल रही गतिविधि को देख रही है।
उत्तर-पूर्व के राज्यों में यह परंपरा सी बन गई है कि स्थानीय स्तर पर जो दल सत्ता में होता है वह कुछ अन्य दलों को अपनी ओर कर लेता है। जदयू के साथ अरुणाचल व मणिपुर में इस तरह की घटना हो चुकी है।