नई दिल्ली, : देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो (Reliance Jio) की जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस ने सैटेलाइट और मोबाइल फोन सेवा नेटवर्क के लिए स्पेक्ट्रम के लचीले उपयोग की अनुमति लेने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) को पत्र लिखा है।
जियो ने ट्राई से किया यह आग्रह
कंपनी ने कल TRAI के अध्यक्ष पीडी वाघेला को लिखे एक पत्र में कहा कि टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है जो सैटेलाइट और स्थलीय नेटवर्क के अभिसरण को सक्षम करेगी और इसलिए ट्राई को स्थलीय और सैटेलाइट सेवाओं के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी के लचीले उपयोग पर विचार करना चाहिए।
जियो ने न्यूजीलैंड सरकार के फैसले का दिया हवाला
अपने पत्र में, जियो सैटेलाइट ने 24-30 गीगाहर्ट्ज बैंड में हाई फ्रीक्वेंसी के लचीले उपयोग की अनुमति देने के न्यूजीलैंड सरकार के फैसले का हवाला दिया।
पत्र में जियो सैटेलाइट ने कहा कि
स्पेक्ट्रम के लचीले उपयोग का यह सुझाव प्रौद्योगिकी और मानकों में नवीनतम परिवर्तनों पर आधारित है जिसने एकीकृत और अभिसरण नेटवर्क के निर्माण की अनुमति दी है। हम इसके रिलीज-17 में 3जीपीपी विनिर्देशों को दोहराते हैं जो पहले से ही उपग्रह और स्थलीय नेटवर्क के अभिसरण को सक्षम कर चुके हैं।
जियो ने “स्पेस्ड आधारित संचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम के आवंटन” पर ट्राई के परामर्श पत्र के जवाब में पहले ही अपनी टिप्पणियां प्रस्तुत कर दी हैं। टिप्पणियों के लिए परामर्श पत्र 1 जून को बंद हो गया।
सैटेलाइट सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम की हो नीलामी- जियो
जियो, सैटेलाइट सेवाओं के लिए केवल नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम आवंटन करना चाहता है जबकि सैटेलाइट सेवा कंपनियों ने सर्वसम्मति से प्रशासनिक पद्धति के माध्यम से रेडियो फ्रीक्वेंसी के आवंटन की मांग की है। सैटेलाइट कंपनियों ने तर्क दिया है कि वे कक्षीय स्थिति के साझा आधार पर स्पेक्ट्रम का उपयोग करते हैं।
जियो ने दी यह दलील
जियो ने सुप्रीम कोर्ट के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की राय के साथ अपने तर्क का समर्थन किया जिन्होंने सुझाव दिया था कि वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीलामी ही एकमात्र तरीका है। जियो ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर जजों की राय मांगी थी।