- अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एयरपोर्ट (Hamid Karzai International Airport Kabul) पर हुए सीरियल ब्लास्ट्स ने आतंक का घिनौना चेहरा एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने ला दिया है। अब तक 72 लोगों के मारे जाने की सूचना है, जिनमें महिलाओं और बच्चों के साथ ही 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं। आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के खोरासन मॉड्यूल ने ली है। इसे ISIS-K कहा जा रहा है। दरअसल, इस्लामिक स्टेट के करीब 20 मॉड्यूल सक्रिय हैं। इनमें खोरासन मॉड्यूल सबसे ज्यादा सक्रिय और खूंखार है। ISIS-K में उन आतंकियों की भर्ती होती है जो तालिबान छोड़ते हैं।
What is ISIS-K
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2014 में इस्लामिक स्टेट द्वारा इराक और सीरिया पर कब्जा करने के बाद पाकिस्तानी तालिबान से अलग हुए लड़ाकों ने नया गुट बना लिया। ये वो आतंकी थे, जिन्होंने आईएस नेता अबू बक्र अल-बगदादी के प्रति निष्ठा का वचन दिया। इनमें से अधिकांश अफगानिस्तान में आतंकवादियों में शामिल हो गए। इस तरह ISIS-K अस्तित्व में आया। इसकी जड़ें पाकिस्तान में भी हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ISIS-K काबुल सहित पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अन्य हिस्सों में स्लीपर सेल स्थापित करने में भी कामयाब रहा है। अभी हजारों लड़के आतंकी संगठन का हिस्सा हैं। हालांकि इससे पहले खबरें आई थीं कि इस्लामिक स्टेट और तालिबान, एक दूसरे के खिलाफ भी लड़ते आए हैं। कुछ मामलों में तालिबान की रणनीति को इस्लामिक स्टेट मंजूरी नहीं देता है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद दुनिया भर के जिहादी समूहों ने उन्हें बधाई दी, लेकिन इस्लामिक स्टेट को नहीं। दोनों समूह कट्टरपंथी सुन्नी इस्लामी आतंकवादी हैं।