कोटा, कोटा से लगातार छात्र-छात्राओं से जुड़ी बुरी खबर हमारे सामने आ रही है। माता-पिता से लेकर सरकार तक को यह समझ नहीं आ रहा कि जो बच्चे इसतरह का कदम उठा रहे हैं उन्हें कैसे रोका जाए। पुलिस का कहना है कि बच्चों के मन में इस तरह के भयानक कदम उठाने के पीछे कई कारण होते हैं।
इन सभी कारणों में सबसे प्रमुख कारण है जो उनको इस कदम को उठाने के लिए प्रेरित करती है, उसके पीछे इनके माता-पिता का बच्चों पर दवाब बनाना है। पुलिस और जिला अधिकारियों के अनुसार हो रहे लगातार छात्र-छात्राओं की आत्महत्याओं के कारण उनको बचाने के उपाय ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है।
सभी बड़े कोचिंग संस्थानों का यह भी दावा है कि अधिकांश माता-पिता उन्हें दिए गए बच्चों के फीडबैक को स्वीकार करने से इनकार करते हैं और चाहते हैं कि उनके बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी जारी रखें।
माता-पिता नहीं मानते उनके बच्चे हो सकते हैं अवसाद के शिकार
पुलिस और कोचिंग संस्थानों का कहना है कि बच्चों के माता-पिता को उनके अवसाद के संभावित लक्षणों के बारे में जब बताया जाता है उन्हें यह भी बताया जाता है कि उनके बच्चे किसी विषय या जिस करियर के लिए वह पढ़ रहे हैं उनमें उनकी रुचि कुछ खास नहीं है। माता-पिता को बताया जाता है कि उनका बच्चा घर से दूर रह पाने में असमर्थत है। ऐसे मुद्दों के बारे में जब भी बच्चे के पेरेंट्स को बताया जाता है वो अक्सर उसे नहीं मानते हैं। वे इन सभी बातों को स्वीकार करने से इनकार करते हैं।
कोटा के एएसपी चंद्रशील ठाकुर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया, “छात्रों के साथ हमारी बातचीत के दौरान, हमें एक ऐसा छात्र मिला जो स्पष्ट रूप से उदास था। मैंने उसके पिता को फोन करने का फैसला किया। उनकी प्रतिक्रिया थी ‘वह तो दूसरों को उदास कर दे, ऐसा कुछ नहीं है’। उस बच्चे के पिता ने यह मानने से साफ इनकार कर दिया कि कोई मुद्दा है जिस पर उनके ध्यान या हस्तक्षेप की जरूरत है।”