करनाल, । देसा मा देश हरियाणा जित दूध दही का खाना जैसे प्रदेश में 2000 तक बेटियाें के लिए प्रतिकूल माहौल था। तब कोई बेटी के लोहड़ी या बेटी के पैदा होने पर कुआं पूजन की रस्म निभाने की सोच नहीं पाता था। ऐसे में करनाल के शिक्षक दंपती मिहिर व गगन ने बेटियों के प्रति सोच बदलने की मुहिम चलाते हुए लोहड़ी का पर्व बेटी के नाम से मनाने की परंपरा शुरू की। आज यह परंपरा मिसाल बन चुकी है।
दंपती मिहिर व गगन बैनर्जी ने लोहड़ी की पूर्व संध्या पर वार्ता में बताया कि 2003 की बात है, जब उनके परिवार में पहले से एक बेटी थी। इस दौरान जब उनकी दूसरी बेटी पैदा हुई तो समाज का नजरिया अच्छा नहीं था।
कन्या भ्रूण हत्या का चलन जोरों पर था। इस साजिश में कई नामी डाक्टर तक शामिल थे। ऐसे में वह दूसरी बेटी को दुनिया में लाए और ठान लिया कि इस बेटी की लोहड़ी मनाएंगे। 13 जनवरी 2004 को उन्होंने सोही बेटी के नाम लोहड़ी मनाई। आयोजन में 500 से अधिक लोग शामिल हुए। मौजूदा शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने भी इस कार्यक्रम को सराहा था। यह लोहड़ी जिस बेटी के नाम पर मनाई गई, वह अब 18 साल की हो गई है और इन 18 साल के दौरान इस बेटी ने अपने नाम अनन्या को सार्थक करते हुए अपने बचपन को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की मुहिम को समर्पित किया।