लखनऊ। लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में आईएनडीआईए में लगातार तेज हो रही दबाव की राजनीति के कारण कांग्रेस और सपा में खींचतान बढ़ रही है।
चुनावी तैयारियों को लेकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस से आगे चल रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को 11 सीटें देने के साथ अपनी पार्टी के 16 उम्मीदवारों के नामों की भी घोषणा कर दी है।
इससे प्रदेश कांग्रेस के खेमे में खलबली मची हुई है और कांग्रेस ने सपा की दबाव की राजनीति का जवाब देने के लिए अपनी तरफ से सभी 80 सीटों पर चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
कांग्रेस पर दबाव बना रही सपा
लोकसभा चुनाव में इस बार आईएनडीआईए को बिहार और बंगाल में झटका मिलने के बाद मौके का लाभ उठाते हुए सपा ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दबाना शुरू कर दिया है।
सपा ने 11 सीटें कांग्रेस को देने की घोषणा के बाद 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार भी मैदान में उतारे हैं। कांग्रेस कम से कम 20 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही थी। नतीजतन सिर्फ 11 सीटों की घोषणा से कांग्रेसी सहमत नहीं है।
इसी कारण कांग्रेस ने अपने नेताओं की राय लेकर सभी सीटों पर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बीते सप्ताह कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय ने सपा पर गठबंधन धर्म का पालन न करने संबंधी बयान देकर दोनों दलों के बीच खींचतान और दबाव की राजनीति को और स्पष्ट कर दिया है।
पिछली बार धरी रह गई थी रणनीति
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के आगे विपक्ष की सारी रणनीति धरी रह गई थी। बसपा संग गठबंधन करके मैदान में उतरी सपा से ज्यादा लाभ बसपा को हुआ था। बसपा के खाते में दस सीटें गई थीं, तो सपा को पांच सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।
भाजपा ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके सहयोगी अपना दल एस को दो सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा की लहर में अमेठी से राहुल गांधी भी चुनाव हार गए थे। कांग्रेस सिर्फ रायबरेली की अपनी पारंपरिक सीट ही बचा सकी थी।