मुंबई,: पिछले ढाई वर्षों में विभाजित हुए महाराष्ट्र के दो प्रमुख दलों के लिए ये विधानसभा चुनाव वर्चस्व की लड़ाई बन गए हैं। इस लड़ाई में दोनों शिवसेनाएं 49 सीटों पर और दोनों राकांपा 38 सीटों पर एक-दूसरे के सामने मैदान में हैं। ये 87 सीटें भी भविष्य में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे शरद पवार तथा अजीत पवार का वर्चस्व तय करेंगी।
महाराष्ट्र के दो प्रमुख दलों के लिए ये विधानसभा चुनाव वर्चस्व की लड़ाई बन गए हैं। इस लड़ाई में दोनों शिवसेनाएं 49 सीटों पर और दोनों राकांपा 38 सीटों पर एक-दूसरे के सामने मैदान में हैं। ये 87 सीटें भी भविष्य में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे शरद पवार तथा अजीत पवार का वर्चस्व तय करेंगी। टूटे हुए दलों की असली परीक्षा विधानसभा चुनाव में होने जा रही है।
महाराष्ट्र में करीब ढाई साल पहले शिवसेना में अब तक की सबसे बड़ी बगावत हुई थी। वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली अविभाजित शिवसेना से 40 विधायक लेकर अलग हो गए थे।
अजीत पवार के खेमे में शामिल हुए 41 विधायक
तब उद्धव के पास सिर्फ 15 विधायक बचे थे। इसी प्रकार करीब सवा साल पहले अजीत पवार ने भी राकांपा से बगावत कर दी थी। वह राकांपा के 52 विधायकों में से लगभग दो तिहाई विधायक तोड़कर राज्य में पहले से चल रही शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। बाद में राकांपा के 41 विधायक अजीत पवार के खेमे में शामिल हो गए थे। तभी से उद्धव ठाकरे अपने विधायकों के साथ-साथ अपने दल और चुनाव चिह्न की चोरी का आरोप एकनाथ शिंदे पर लगाते आ रहे हैं।