इस समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के लोग भी होंगे शामिल
किसान आंदोलन के वक्त सरकार ने भरोसा दिया था कि किसानों को उनकी फसल की उपज का उचित व लाभकारी मूल्य दिलाने के उद्देश्य से सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सिफारिश देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी। समिति में केंद्र व राज्य सरकार, किसान प्रतिनिधियों के साथ कृषि वैज्ञानिकों को शामिल किया जाएगा। समिति में सदस्यों की संख्या ज्यादा हो सकती है, जिसमें राज्यों के प्रमुख सचिवों के साथ केंद्रीय कृषि व खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होंगे। जबकि समिति में नीति आयोग का प्रतिनिधित्व होना तय है।
सदस्यों का पैनल तैयार, अंतिम मुहर लगनी बाकी
संसद के पिछले अधिवेशन सत्र में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने सदन को आश्वस्त किया था कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद समिति की घोषणा कर दी जाएगी। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से चालू होने जा रहा है, जिसमें किसान आंदोलन के समय दिए गए आश्वसनों का मुद्दा जोर पकड़ सकता है। राजनीतिक दलों के लिए भी यह बड़ा मसला हो सकता है, जिस पर सरकार को घेरा जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, कृषि मंत्रालय में एमएसपी के लिए गठित होने वाली समिति का प्रारुप तैयार कर लिया गया है। इसमें शामिल होने वाले नामों का पैनल भी बना लिया गया है, जिसे किसी भी समय अंतिम रूप दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि सरकार इसे विपक्ष को संसद में मुद्दा नहीं बनाने देना चाहेगी। इसलिए सत्र के पहले ही इसकी घोषणा की जा सकती है।
हालांकि विपक्ष इस मसले पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। एमएमसपी पर गेहूं की कम खरीद के होने का मुद्दा भी उठाया जा सकता है। रबी सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद निर्धारित लक्ष्य 4.44 करोड़ टन से घटकर 1.87 करोड़ टन पर सिमट गई है। किसान संगठनों की मांग है कि एमएसपी की लीगल गारंटी मिल जाने से किसानों की मुश्किलें आसान हो जाएंगी। इसीलिए सरकार संसद सत्र शुरु होने के साथ ही समिति की घोषणा कर विपक्ष के इन सारे मुद्दों पर पानी फेर सकती है।