पुलिस अधिकारियों का दावा है कि पूरे देश में जबलपुर ऐसा पहला जोन बन गया है, जिसने प्रथम चरण के परीक्षण में ही नेफिस के माध्यम से तीन अज्ञात मामलों को हल कर दिया है। तीनों प्रकरण में मृतकों की हत्या की गई थी और अब सभी आरोपित जेल में है। मालूम हो कि नेफिस के प्रथम चरण का परीक्षण भी शुरू हो चुका है, जिसमें जबलपुर जोन के छोटे-बड़े करीब एक लाख अपराधियों के फिंगर प्रिंट के साथ पूरा डाटा अपलोड किया जा चुका है। इनमें जबलपुर के करीब 30 हजार अपराधी भी शामिल हैं।
वहीं, नेफिस के द्वितीय चरण के परीक्षण में इसे सभी पुलिस थानों एवं क्राइम एंड क्रिमिनट ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) से जोड़ा जाएगा। पूरा काम आनलाइन होगा। पुलिस थानों में लाइव स्केनर प्रदान किए जाएंगे जिससे पुलिस कर्मी अपराधी के पकड़े जाने पर लाइव स्केनर से फिंगर प्रिंट ले सकेंगे और उनका अपराधियों के डाटा से मिलान भी तुरंत किया जा सकेगा।
मालूम हो कि कुछ साल पहले तक फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ व पुलिस स्याही से पेपर में अपराधियों के फिंगर प्रिंट लेते थे, जिनको फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ स्वयं पूर्व से एकित्रत कर रखे गए अपराधियों के फिंगर प्रिंट से मिलान करते थे। इसके बाद प्रदेश में एफिस (एएफआइएस) नामक साफ्टवेयर आया। इसमें अपराधियों के फिंगर प्रिंट का डाटा एकत्रित किया गया लेकिन इसमें फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं हो पाता था, जिस कारण यह अपराधियों को पकड़ने में कारगर साबित नहीं हो पाया।
नेफिस में होगा पूरे देश के अपराधियों का डाटा
भारत सरकार ने पूरे देश में उपयोग के लिए फ्रांस से नेशनल आटोमेटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटीफिकेशन सिस्टम (नेफिस-एनएएफआइएस) लिया है। इसके प्रथम चरण में देश के 18 राज्यों में जनवरी 2022 से परीक्षण चल रहा है। इसे हर जिले के फिंगर प्रिंट कार्यालय जोड़कर पूरे देश के अपराधियों के फिंगर प्रिंट के साथ उनका नाम, पता, अपराध सहित तमाम जानकारियां फीड की जा रही है।
फिंगर प्रिंट जोनल प्रभारी के अनुसार फिंगर प्रिंट विशेषज्ञों ने कई गंभीर अपराधों के खुलासे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नेफिस साफ्टवेयर आने से पहले की अपेक्षा काम आसान होने लगा है। इसमें आसानी से फिंगर प्रिंट का मिलान किया जा सकता है। इसकी मदद से ही जबलपुर को देश में अव्वल आने में सफलता मिली है।