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Mukhtar Ansari की दबंगई ऐसी- जेल में खोदवा दिया था तालाब


गाजीपुर। माफिया मुख्तार अंसारी के लिए कभी जेल सुरक्षित आशियाना हुआ करता था, लेकिन आज जेल में उसका इंतकाल हो गया। मुख्तार अंसारी करीब 18 वर्ष छह माह तक जेल में रहा। इसमें पांच वर्ष वह गाजीपुर जिला कारागार में रहा। उस समय मुख्तार की दबंगई इस कदर थी कि मछली खाने के लिए जेल में ही उसने तालाब खोदवा दिया था।

 

जेल का बैरक नंबर दस मुख्तार के नाम से ही जाना जाता था। जिसे वह खूबसूरत पंडाल की तरह सजाया था। जेल से ही वह अपना काला साम्राज्य चलाता था। जेल के बैरक नंबर दस के आसपास जेल प्रशासन नहीं बल्कि मुख्तार के गुर्गे हुआ करते थे, जो उसकी सुरक्षा में हमेशा मुस्तैद रहते थे।

रोजाना दावत होती थी जब जो चाहे बिना किसी परमीशन के जेल में मुख्तार से मिलता था। इतना ही नहीं मुख्तार को जिससे मिलना होता था। वह अपने गुर्गे को भेज कर उसे जेल में बुलवा लेता था। जेल के अंदर ही विभिन्न विभागों के टेंडर की मीटिंग भी होती थी। बताया यह भी जा रहा है कि टेंडर निकालने से पहले पीडब्ल्यूडी के अधिकारी मुख्तार अंसारी की सहमति लेने के लिए जेल में आते थे।

बिना अनुमति के खोदवाया था पोखरा

मुख्तार ने जेल के बैरक नंंबर दस के पास ही मुख्तार बिना जेल प्रशासन की अनुमति के पोखरा खोदवाया था। इसमें वह रोहू प्रजाति की मछलियों को पाला था। खोदाई के के लिए ट्रैक्टरों व जेसीबी के लिए मुख्य गेट को पूरी तरह से खोल दिया गया था। बाद में आए जेलर एके अवस्थी ने मुख्तार अंसारी से भिड़कर पोखरे को पटवा दिया था।

रात में निकल जाता था जेल से बाहर

जेल प्रशासन पूरी तरह से मुख्तार अंसारी की मुट्ठी में था। रात में जेल का मुख्य दरवाजा मुख्तार के लिए खुल जाता था। रात में वह जेल से बाहर निकल जाता था और सुबह होते ही जेल में दोबारा दाखिल हो जाता था।

जेल में ही लगाता था दरबार

वर्ष 2005 से 2010 पांच वर्षों तक मुख्तार गाजीपुर की जेल में रहा। उस समय उसकी दबंगई चरम पर थी। बैरक नंबर दस के पास ही एक नीम का पेड़ था, जिसके विशाल टीले मुख्तार अंसारी की कुर्सी लगती थी और नीचे फरियादी खड़े होते थे। यहीं से वह अपना दरबार संचालित करता था। मऊ विधायक होने के कारण जिले के बाहर के लोग भी मुख्तार के दरबार में पहुंचे थे।