- आज यानी कि एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर डे है. राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी डॉ बिधानचंद्र रॉय की आज पुण्यतिथि भी है. हमारा समाज मरीजों को नई जिंदगी देने वाले डॉक्टरों को भगवान मानता है. आज का दिन समाज में डॉक्टरों के योगदान को समर्पित है.
कोरोना काल में डॉक्टरों के योगदान को कौन भूला सकता है. मरीजों को नई जिंदगी देकर लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले डॉक्टरों ने पिछले डेढ़ सालों में लोगों की जी जान से सेवा की है. लेकिन मरीजों का इलाज करने के दौरान डॉक्टरों को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है.
कोरोना काल में डॉक्टर्स ने अपनी जान की परवाह किए बगैर लाखों जिंदगियां बचाई. सरकार की ओर से डॉक्टर्स को तमाम सुविधाएं देने के वादे किए गए, लेकिन कहीं वादे पूरे हुए तो कहीं अभी भी डॉक्टर्स अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैं.
यूपी में कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टरों से दुर्व्यवहार
कोरोना के दौरान डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए मरीजों को मौत के मुंह में जाने से बचाया. इन्हीं सब के बीच डॉक्टरों के साथ, जनता ने अभद्रता और दुर्व्यवहार भी किया. कोविड-19 के दौरान तबलीगी जमातियों का भी मामला सामने आया, जिसमें वह डॉक्टरों पर कभी थूकते, तो कभी दुर्व्यवहार करते हुए दिखाई पड़े.
सैंपल लेने गए डॉक्टरों पर पथराव
उत्तर प्रदेश में वहीं कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं, जहां कोरोना की जांच करने के लिए सैंपल लेने गए डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मियों पर पथराव कर दिया और डॉक्टरों के साथ आए हुए स्वास्थ्यकर्मियों, एंबुलेंसकर्मियों को भी नहीं बख्शा गया. इन मामलों में उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त कार्यवाही करने का फैसला लिया.
डॉक्टरों के लिए कानूनी सुरक्षा
डॉक्टरों को सुरक्षा देने के लिए यूपी सरकार ने कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दिया है. इस कानून के तहत, चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मियों, जो कोरोना ड्यूटी में तैनात हैं, और उन कोरोना योद्धा से अभद्रता करेंगे या हमला करेंगे उनके लिए 6 माह से लेकर 7 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. वहीं 50 हजार से लेकर 5 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है.
वहीं डॉक्टरों और नर्सों को मिल रहे वेतन के मामले में यूपी सरकार के सलाहकार ने बताया कि कोविड-19 के दौरान ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों और नर्सों के वेतन में 25% की वृद्धि भी की जा चुकी है.
मध्य प्रदेश के डॉक्टरों की क्या है स्थिति
कोरोना को मात देने में मध्य प्रदेश भी डॉक्टरों ने जी जान से मरीजों की सेवा की. डॉक्टर्स डे पर हमने ये जानने की कोशिश की कि कोरोना वार्ड में काम करने वाले डॉक्टर्स और नर्सेस को सरकार से कितना पैसा मिल रहा है?
कोरोना वार्ड में काम करने के लिए अलग भत्ता नहीं
मध्यप्रदेश में डॉक्टरों को कोरोना वार्ड में काम करने के लिए अलग से कोई भत्ता नहीं मिलता है. जहां तक तनख्वाह की बात है तो मध्यप्रदेश में डॉक्टरों को चार अलग-अलग श्रेणी के तहत सैलरी मिलती है. सबसे सीनियर डॉक्टर को 1 लाख 31 हज़ार रुपये प्रतिमाह सैलरी मिलती है. इसके बाद 1 लाख 25 हज़ार. इससे नीचे की श्रेणी को 79 हज़ार तो वहीं सबसे कम 65 हज़ार सैलरी प्रतिमाह दी जाती है.
MP में पैसा बढ़ाने को लेकर डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी प्रदर्शन?
मध्य प्रदेश में डॉक्टर्स तो फिलहाल प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं लेकिन हाल ही में मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स ने अपना स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर लेकर प्रदर्शन किया था. इस दौरान जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए थे. सरकार से आश्वासन मिलने पर उन्होंने हड़ताल खत्म कर दी थी. इसके बाद सरकार ने आदेश निकालते हुए जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड में 17% कई बढ़ोतरी कर दी थी.
डॉक्टरों पर हमले को लेकर क्या कर रही है एमपी सरकार?
लंबे समय से डॉक्टरों की मांग है कि अस्पताल में ड्यूटी के दौरान कई बार मरीज के परिजन उन पर हमला कर देते हैं जिसमें कई डॉक्टर अब तक गंभीर रूप से घायल भी हो चुके हैं. ऐसे में सरकार ड्यूटी में काम करने वाले डॉक्टर की सुरक्षा सुनिश्चित करें. इस पर एमपी सरकार ने हर जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज में पुलिस चौकी खोलने का आश्वासन डॉक्टरों को दिया है.
उत्तराखंड के डॉक्टरों की पीड़ा
कुछ ही दिन पहले उत्तराखंड के डॉक्टरों ने प्रदर्शन कर अपनी पीड़ा देश के सामने लाने की कोशिश की थी. उत्तराखंड के तीनों मेडिकल कॉलेज के 340 ट्रेनी डॉक्टर कुछ दिन पहले कार्य बहिष्कार कर रहे थे. डॉक्टरों कहना है कि उन्हें 7500 रुपये बतौर वेतन दिया जा रहा है, जो कि एक दैनिक मजदूर की मजदूरी से भी कम है. उनकी मांग है कि उन्हें 23500 वेतन दिया जाए, जो कि भारत सरकार अपने मेडिकल कॉलेज के ट्रेनी डॉक्टरों को देती है.
250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वेतन
24 जून को प्रदर्शन कर रहे उत्तराखंड के ह्लद्वानी में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वेतन दिया जा रहा है, जो कि काफी कम है, इस समय एक दैनिक मजदूर की भी मजदूरी 400 से 500 रुपये है, ट्रेनी डॉक्टर कोरोना काल में लगातार 12 घंटे तक काम कर रहे हैं.
झारखंड में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून नहीं
मरीजों के परिजनों से मारपीट का शिकार होने झारखंड के डॉक्टर लगातार सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए अबतक कोई कानून नहीं बन पाया है.
आईएमए के झारखंड चैप्टर के अनुसार हर राज्य में डॉक्टरों के साथ मारपीट की खबरें आती रही है. डॉक्टरों की सुरक्षा का सवाल विधानसभा में भी गूंजा. इस मुद्दे पर कानून बनाने का मुद्दा सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया. देश में बिहार, बंगाल और छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाया जा चुका है, लेकिन इस मामले पर झारखंड में सुगबुगाहट नहीं है.
डॉक्टरों को नहीं मिल पाता उचित वेतन
झारखंड के डॉक्टरों की शिकायत पेशे के अनुसार सैलरी को लेकर भी है. आईएमए के राज्य सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि डॉक्टर इस मुद्दे पर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ है. हाल ही में जेपीएससी ने 1745 डॉक्टरों की वैकेंसी के लिए विज्ञापन निकाला था लेकिन मात्र 127 डॉक्टरों ने ज्वाइन किया. इन डॉक्टरों की एकमुश्त सैलरी मात्र 65000 रुपये थी. इतनी कम सैलरी में कई डॉक्टरों ने ड्यूटी करने से इनकार कर दिया.
एक महीने की एक्स्ट्रा सैलरी
हालांकि राज्य सरकार ने कोरोना काल में काम करने वाले डॉक्टरों को एक महीने की अतिरिक्त सैलरी देने का ऐलान किया है, इससे डॉक्टरों की नाराजगी कुछ हद तक जरूर दूर हुई है.