नई दिल्ली, शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने का विधान है। शक्ति स्वरूपा मां भगवती की विधिवत पूजा करने के साथ कलश की स्थापना की जाती है। स्थापना के समय कलश के चारों ओर जौ बोने की परंपरा है। कई जगहों पर इसे ज्वार जैसे नाम से जानते हैं। मिट्टी में बोए जाने वाले इन जौ का काफी अधिक महत्व है। जौ बोने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर जौ क्यों बौएं जाते हैं और इनके रंगों के हिसाब से क्या संकेत मिलते है।
जौ बोने का कारण
जौ को लेकर ये मान्यता है कि यह जितने अच्छे और लंबे होते हैं उस घर में उतनी ही ज्यादा सुख-समृद्धि आती है। हर साल मिट्टी के बर्तन में जौ बोया जाता है। अगर मिट्टी का बर्तन नहीं है, तो स्टील के बर्तन में बोया जाता है।
कहा जाता है कि सृष्टि की पहली फसल जौ ही थी। इसी कारण इसे सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है और देवी-देवताओं की पूजा करने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं।
नवरात्र में जौ उगने के शुभ और अशुभ संकेत
जौ उगने के शुभ संकेत
- अगर नवरात्र के 1-2 दिनों बाद जौ उगने लगे और खूब हरा भरा हो, तो यह शुभ माना जाता है। इसे सुख-समृद्धि से जोड़ा जाता है। इसके साथ ही घर में हर किसी का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- जौ का अधिक बड़ा होना भी शुभ माना जाता है। जौ का अधिक बड़ा होना खुशहाली और सौभाग्य को दर्शाता है।
- अगर जौ सफेद और हरे रंग के होते है, तो भी शुभ संकेत होता है। इसका मतलब होता है कि आपकी पूजा से मां प्रसन्न हो जाती है।
- पीले रंग के जौ उगते है, तो माना जाता है कि जल्द ही घर में खुशियां दस्तक देने वाली है।
- अगर जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला है तो ये साल की अच्छी शुरुआत की ओर संकेत करता है और अंत बुरा होने का संकेत देता है।
जौ उगने के अशुभ संकेत
- बोए हुए जौ को ठीक ढंग से पानी आदि देने के बाद भी नहीं उग रहे हैं, तो यह अशुभ माना जाता है।
- काले रंग के जौ उगने भी अशुभ माना जाता है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- अगर जौ सुखी और पीली रंग की है, तो जीवन में कई संकट आ सकते हैं। इसलिए संकट से निजात पाने के लिए मां से आराधना करें।