लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्रेम-प्रसंग व जमीन विवाद में खूब खून बहा। इनके अलावा पारिवारिक विवाद, आपसी रंजिश समेत अन्य अलग-अलग कारणों से भी हत्या की वारदात हुईं। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में हत्या की 3491 वारदात हुईं, जिनमें 3599 लोगों की जान गई। पुलिस जांच में सामने आया कि इनमें 253 हत्याएं प्रेम-प्रसंग के चलते हुईं।
जबकि जमीन विवाद में 226 लोगों को मौत के घाट उतारा गया था। मामूली विवाद में 264 हत्याएं की गईं। चौंकाने वाली यह बात भी सामने आई कि वर्ष 2022 में केवल उप्र में सात हत्याएं मानव अंग बेचने के लिए की गईं। उप्र मेें बीते वर्ष अवैध संबंधों के चलते 38 जानें गईं थीं और बदमाशों के आपसी टकराव में 14 अपराधी ढेर हुए। दहेज की मांग काे लेकर 13 महिलाओं की जान ली गई। डकैती व लूट के दौरान भी सात जानें गईं।
लेनदेन के विवाद में 40, आपसी रंजिश में 106, जातीय संघर्ष में छह लोग मारे गए। अन्य कारणों से भी हत्याएं हुईं। 68 घटनाओं का कारण ही साफ नहीं हो सका। इनमें 240 नाबालिग, 2544 पुरुष व 814 महिलाएं शामिल रहीं। एक किन्नर की भी हत्या की गई। 19 महानगरों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में लखनऊ में 131, कानपुर में 81 व गाजियाबाद में 61 हत्याएं हुईं। तीनों ही महानगरों में वर्ष 2021 की तुलना में हत्या की अधिक वारदात हुईं।
साइबर अपराध की चुनौती
साइबर अपराध पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार लगातार कड़े प्रयास कर रही है। साइबर थानों की स्थापना के साथ ही पुलिस अधिकारियों व कर्मियों में विशेषज्ञता भी बढ़ाई जा रही है। सबसे बड़ी आबादी वाले उप्र में साइबर अपराधी भी खूब सक्रिय रहे हैं। हालांकि वर्ष 2020 की तुलना में उप्र पुलिस इसे थोड़ा नियंत्रित करने में भी सफल हुई है। वर्ष 2020 में उप्र में साइबर क्राइम के 11097, वर्ष 2021 में 8829 तथा वर्ष 2022 में 10117 मामले दर्ज हुए। महानगरों की बात करें ताे लखनऊ, गाजियाबाद व कानपुर में वर्ष 2021 की तुलना में इन मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई।