अनुगुल। : बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन पर हुए विनाशकारी रेल हादसे के ग्यारह दिन बाद दुर्घटनाग्रस्त पीड़ितों के अज्ञात शवों के निपटान ने ओडिशा सरकार और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भुवनेश्वर दोनों के लिए एक असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
एम्स में बाकी बचे शवों की अब बिगड़ती जा रही है हालत
शव वर्तमान में एम्स के परिसर में अस्थायी कंटेनरों में रखे गए हैं। अपनों के शवों को ले जाने के लिए दुर्घटना पीड़ितों के सैकड़ों रिश्तेदार डीएनए मिलान रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं और दूसरी तरफ लेप लगाने में देरी के कारण शवों की हालत बिगड़ती जा रही है और उनके निपटान के लिए अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
सामूहिक दाह संस्कार पर सरकार ने नहीं लिया कोई फैसला
राज्य सरकार ने सामूहिक दाह संस्कार पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, जिसे शुरू में एक विकल्प के रूप में लिया जा रहा था। जबकि सरकार के सूत्रों ने कहा कि वे अज्ञात शवों के निपटान पर एम्स से सलाह लेंगे और उसके अनुसार कार्य करेंगे।
इस मामले पर प्रमुख चिकित्सा संस्थान के अधिकारियों को दुविधा का सामना करना पड़ रहा है। एम्स के सूत्रों ने कहा है कि अस्पताल में वैज्ञानिक तरीके से शवों का संरक्षण किया गया है और अब बाकी बचे शवों पर अंतिम निर्णय लेने का जिम्मा सरकार पर छोड़ रखा है।
81 शवों में से 75 पर परिजनों ने ठोका दावा
एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ डीके परिडा ने कहा कि आमतौर पर किसी घटना के 72 घंटों के भीतर शवों का दावा किया जाना चाहिए। घटना की गंभीरता को देखते हुए हमने संरक्षण करना जारी रखा है। हम डीएनए विश्लेषण रिपोर्ट और उस पर सरकार के फैसले का इंतजार करेंगे। वहीं दावेदारों की संख्या को देखते हुए सरकार भी पसोपेश में है। दुर्घटना पीड़ितों के 81 शवों को संग्रहीत किया गया है, जिनमें से अब तक 75 दावे प्राप्त हुए हैं।
DNA मैचिंग के नतीजे पर भी अब उठ रहा सवाल
डीएनए प्रोफाइल के क्रॉस मैचिंग के बाद ही दावेदारों की वास्तविक संख्या का पता चल पाएगा, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगेगा। इसी तरह मैचिंग को लेकर भी दिक्कतें आ रही हैं। पिता-माता या भाई-बहन प्रथम श्रेणी के संबंध हैं, जहां डीएनए मिलान की सटीकता अधिक होती है, लेकिन इसके बाद के संबंधों के मामले में मिलान की संभावना कम हो जाती है। सूत्रों ने कहा कि शवों की शिनाख्त के लिए आए चचेरे भाई और चाचा जैसे दूसरे दर्जे के संबंधों से कुछ नमूने लिए गए हैं।
एनाटॉमी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ प्रवेश रंजन त्रिपाठी ने कहा कि सभी 75 लोगों ने डीएनए मिलान के लिए अपने रक्त के नमूने उपलब्ध कराए हैं। शरीर से निकाले गए डीएनए की गुणवत्ता सहित कई कारकों की भागीदारी के कारण मिलान प्रक्रिया बोझिल है। हम अनिश्चित हैं कि कितने नमूने मेल खाएंगे। लोग अब भी शवों को लेने आ रहे हैं।
क्या अब मेडिकल कॉलेजों में शोध के लिए भेजे जाएंगे शव
बताया यह भी जा रहा है कि यदि सरकार को दाह संस्कार पर निर्णय लेने में कठिनाई होती है तो शवों का वैज्ञानिक निपटान किया जा सकता है जैसे कि शोध के लिए शवों को चिकित्सा संस्थानों को दान किया जा सकता है। एक विशेषज्ञ ने कहा, शरीर के अंगों जैसे कंकाल, हड्डियां, विसरा और अन्य अंगों को बिना सिर या कटे-फटे शरीर से निकाला जा सकता है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 288 मौतों में से पश्चिम बंगाल के अधिकतम 102 यात्री दुर्घटना में मारे गए, इसके बाद बिहार के 55, ओडिशा के 39, झारखंड के नौ और आंध्र प्रदेश और नेपाल के एक-एक यात्री मारे गए। बाकी 81 शव अज्ञात हैं।