नई दिल्ली। भारत की महिला पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक्स में इतिहास रचने से चूक गईं थीं। विनेश फोगाट को महिलाओं की 50 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग के गोल्ड मेडल मैच से पहले डिस्क्वालीफाई कर दिया गया था।
ऐसा इसलिए क्योंकि विनेश फोगाट का फाइनल बाउट के दिन वजन 100 ग्राम ज्यादा पाया गया था। रेसलर ने इस परिणाम को चुनौती देते हुए सीएएस में अपील की थी। विनेश के सिल्वर मेडल मामले में फैसला मंगलवार को आने की उम्मीद है। गौरतलब है कि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने नियमों का हवाला देते हुए विनेश की याचिका का विरोध किया था।
नियम में निकली कमी
हालांकि, विनेश के पक्ष में फैसला आ सकता है क्योंकि यूडब्ल्यूडब्ल्यू की नियमावली में एक कमी निकली है। रेवस्पोर्ट्स की खबर के मुताबिक रेसलिंग इकाई ने सुझाव दिया कि विनेश के 100 ग्राम वजन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। नियम के अनुसार अनुमति नहीं, विनेश को अपवाद नहीं मुहैया कराया जा सकता है। इसलिए विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल नहीं मिल सकता।
फिर यूडब्ल्यूडब्ल्यू की नियमावली में एक कमी उजागर हुई। यूडब्ल्यूडब्ल्यू नियम के मुताबिक जो पहलवान रेपचेज में पहुंचता है, वो फाइनलिस्ट से हारा होता है। 50 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग फाइनल में जापान की यूई सुसकी को रेपचेज राउंड के तहत ब्रॉन्ज मेडल मैच में खेलने का मौका दिया गया।
सुसकी को क्यों मिला मौका?
अब नियमों पर गौर करें तो विनेश फाइनलिस्ट थी नहीं, क्योंकि उन्हें ज्यादा वजन के कारण गोल्ड मेडल मैच से डिस्क्वालीफाई कर दिया गया था। फाइनल मुकाबला तो क्यूबा की युसनेलीस गजमैन और अमेरिका की सारा हिल्डेब्रांड के बीच खेला गया था। तो फिर किस आधार पर सुसकी को रेपचेज में फाइट करने की अनुमति मिली?
भारत के पास गिनाने का अवसर
अगर नियमों की मानें तो सुसकी को रेपचेज खेलने की अनुमति नहीं मिलनी थी, लेकिन यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने इसकी इजाजत दी। नियमों को माना जाए तो विनेश को नियम के आधार पर बाहर किया गया और ऐसे में सुसकी को रेपचेज का हिस्सा नहीं बनने देना चाहिए था। मगर ऐसा नहीं हुआ।
जब यूडब्ल्यूडब्ल्यू नियमों में कमी देखने को मिली तो देखना होगा कि कैसे भारतीय कैंप इस मामले को सामने लाता है, जब सीएएस की निर्णायक सुनवाई होगी। इसके बाद फैसले की घोषणा होगी।