बुधवार (27 जुलाई) को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की और कहा कि ईडी के पास कानून के तहत लोगों की जांच करने, तलाशी और छापे मारने और यहां तक कि धन शोधन निवारण अधिनियम के कड़े प्रावधानों के तहत नागरिकों को गिरफ्तार करने की ताकत है।
बता दें कि, तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP), द्रमुक शिवसेना (DMK), AAP, और निर्दलीय राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल सहित 17 विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।
बयान में कहा गया है, ‘हम इस बात की जांच किए बिना कि क्या इनमें से कुछ संशोधन हो सकते हैं, धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 में संशोधनों को संपूर्ण रूप से बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के दीर्घकालिक निहितार्थों पर हम अपनी गहरी आशंका जताते हैं।
अगर कल सुप्रीम कोर्ट यह मानता है कि वित्त अधिनियम के माध्यम से चुनौती दिए गए संशोधन कानून में खराबी है, तो पूरी कवायद बेकार हो जाएगी और न्यायिक समय की हानि होगी।
हम अपने सर्वोच्च न्यायालय को सर्वोच्च सम्मान में रखते हैं और हमेशा रखेंगे। फिर भी, हम इस ओर इशारा करने के लिए मजबूर हैं कि निर्णय को संशोधन करने के लिए वित्त अधिनियम मार्ग की संवैधानिकता की जांच के लिए एक बड़ी पीठ के फैसले का इंतजार करना चाहिए था।
इन दूरगामी संशोधनों ने अपने राजनीतिक विरोधियों को शरारती और दुर्भावनापूर्ण तरीके से निशाना बनाने के लिए, मनी लॉन्ड्रिंग और जांच एजेंसियों से संबंधित संशोधित कानूनों का उपयोग करके, राजनीतिक प्रतिशोध में लिप्त एक सरकार के हाथों को मजबूत किया है।
बयान में आगे कहा गया है कि वे इस बात से निराश हैं कि अधिनियम में नियंत्रण और संतुलन की कमी पर एक स्वतंत्र फैसला देने के लिए आमंत्रित सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण ने कठोर संशोधनों के समर्थन में कार्यपालिका द्वारा दिए गए तर्कों को प्रस्तुत किया है। फैसला अल्पकालिक होगा और संवैधानिक प्रावधान जल्द ही लागू होंगे।
सुपरमी कोर्ट ने 27 जुलाई को पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के कई प्रावधानों की वैधता और व्याख्या और इस आपराधिक कानून के तहत मामलों की जांच के दौरान ईडी द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से संबंधित दलीलों पर सुनवाई के बाद 545 पन्नों के आदेश में अपने निर्देश जारी किए हैं।