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Punjab: बिना लोको पायलट 80 किमी तक दौड़ी मालगाड़ी, रेलवे ने छह दोषी कर्मचारी किए सस्‍पेंड


पठानकोट। जम्‍मू से पंजाब तक बिना लोको पायलट के मालगाड़ी 80 किलोमीटर तक पटरी पर दौड़ी। इसके बाद रेलवे में हड़कंप मच गया था। अब इस मामले में रेलवे के 6 लोगों पर बड़ी कार्रवाई हुई है। स्टेशन मास्टर, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट, पॉइंटमेन और लोको इंस्‍पेक्‍टर को सस्‍पेंड कर दिया गया है।

 

हॉलीवुड फिल्‍म जैसी घटना

हॉलीवुड फिल्म ‘अनस्टॉपेबल’ ऐसी घटना पर बनी थी, जिसमें एक मालगाड़ी बिना ड्राइवर के ही ट्रैक पर दौड़ने लगती है। फिर उसे रोकने के लिए दूसरे ट्रैक पर जा रहा इंजन पीछे लगाया जाता है और अंत में इंजन के ड्राइवर बड़ी मुश्किल से ट्रेन रोक लेते हैं। कुछ ऐसा ही रविवार सुबह जम्मू के कठुआ रेलवे स्टेशन पर हुआ। यहां 53 वैगन की डबल इंजन मालगाड़ी बिना लोको पायलट के ही ट्रैक पर दौड़ पड़ी।

कठुआ से रफ्तार पकड़ने के बाद मालगाड़ी करीब दो घंटे तक ट्रैक पर बेलगाम दौड़ती रही और लगभग 80 किलोमीटर दूर पंजाब के होशियारपुर के ऊंचा बस्सी में ट्रैक पर पत्थर व लकड़ी के गुटके डालकर इसे रोका गया। घटना के बाद रेलवे ने जैसी सफाई दी, उससे और भी ज्यादा सवाल खड़े हो गए हैं।

ढलान के कारण पकड़ी रफ्तार

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ढलान होने से मालगाड़ी अपने आप चल पड़ी और रफ्तार पकड़ ली। हालांकि मामला तूल पकड़ने के बाद रेलवे ने जांच के निर्देश दिए हैं। लोको पायलट ने मालगाड़ी को कठुआ रेलवे स्टेशन पर रोका और चाय पीने चला गया।

करीब 7:10 बजे अचानक मालगाड़ी सरकने लगी। इससे पहले कि रेलवे स्टाफ ट्रेन को गुटके वगैरह लगाकर रोकने का प्रयास करता, ढलान होने के कारण मालगाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली। फिर रेलवे स्टाफ ने आनन-फानन में अगले सभी स्टेशनों को अलर्ट किया और रेलवे क्रासिंग बंद करवा दीं।

ऐसे किया गया काबू

लखनपुर, माधोपुर, सुजानपुर से पठानकोट स्टेशन मास्टर को लाइन साफ करने का आदेश जारी हो गया। ऐसे में मालगाड़ी सभी स्टेशनों पर बिना रुकावट दौड़ती गई। बीच-बीच में स्टाफ ने लकड़ी के गुटके और पत्थर डालकर मालगाड़ी की गति नियंत्रित करने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं रुकी।

होशियारपुर के ऊंची बस्सी स्टेशन के पास ट्रैक की ऊंचाई होने से मालगाड़ी की गति कम हुई और उसे गुटके व पत्थर लगाकर रोक लिया गया। इस घटना से वंदे भारत सहित करीब आधा दर्जन ट्रेनें देरी से चलीं। गनीमत रही कि कोई ट्रेन उस ट्रैक पर नहीं थी, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।