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RBI Monetary Policy: कम हो रही है महंगाई या आर्थिक सेहत की चिंता


नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार छह बढ़ोतरी के बाद गुरुवार को अपनी प्रमुख रेपो दर को स्थिर रखते हुए एक अप्रत्याशित कदम उठाया। आरबीआई ने कहा कि हाल की वैश्विक वित्तीय उथल-पुथल के प्रभाव की बारीकी से निगरानी कर रहा है। आरबीआई ने कहा कि इसका नीतिगत रुख ‘समायोजन वापस लेने’ पर केंद्रित है।

आरबीआई ने इस बात का साफ संकेत दिया है कि यदि आवश्यक हो तो यह और दर वृद्धि पर विचार कर सकता है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि दर वृद्धि में विराम केवल इस बैठक के लिए है। अधिकांश विश्लेषकों ने आरबीआई से 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की उम्मीद की थी। पिछले साल मई से रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कुल 250 बीपीएस की वृद्धि की है।

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क्या है इसकी वजह

RBI के ताजा रुख को देखें तो ये पूरे FY24 के लिए दरों में बढ़ोतरी रोकने के दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। देश में अब भी तरलता की स्थिति कठोर बनी हुई है। शॉर्ट टर्म यील्ड में कुछ दबाव बना रह सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वित्तीय स्थिरता की चिंताओं से आरबीआई पहले ही मुक्त हो चुका है। एमपीसी ने अपनी संचयी 250 बीपीएस दर वृद्धि के प्रभाव का आकलन किया है।

क्या वाकई सुधर रहे हैं महंगाई के आंकड़े

रिजर्व बैंक ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति में 5.2 प्रतिशत की मामूली कमी का अनुमान लगाया है, लेकिन साथ ही ये भी आगाह किया कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

हालांकि रिजर्व बैंक ने फरवरी के 5.3 प्रतिशत के मुकाबले मुद्रास्फीति के ताजा अनुमान को कम कर दिया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उत्पादन में कटौती के ओपेक के फैसले के कारण कच्चे तेल की कीमतों में हालिया उछाल के बीच मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण गतिशील बना आ है।

 

आगे क्या हैं चुनौतियां

वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम को उजागर करने के साथ आरबीआई ने अर्थव्यवस्था के लिए कई संभावित और अप्रत्याशित झटकों के प्रति आगाह किया है। मुद्रास्फीति के अपेक्षाओं के मुताबिक घटने के साथ ही आरबीआई दरों को कम करना शुरू कर देगा। आपूर्ति के झटकों, विशेष रूप से खराब मौसम की स्थिति पर सख्त मौद्रिक नीति का प्रभाव सीमित है, इसके बजाय प्रशासनिक उपायों और राजकोषीय समर्थन की आवश्यकता है।

आपको बता दें कि रेपो दर वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है। रिवर्स रेपो दर वह दर है, जिस पर आरबीआई अल्पावधि में बैंकों से पैसे उधार लेता है, ताकि सिस्टम में अतिरिक्त तरलता को सोख लिया जा सके।