मुंबई।भारत की तरक्की की यात्रा आज अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को स्पर्श कर रही है। अंतरिक्ष विज्ञान में भारत एक बड़ी शक्ति है तो यह डा. विक्रम साराभाई की सोच का नतीजा है। उनके प्रयासों से वर्ष 1962 में इंडियन नेशनल कमेटी फार स्पेस रिसर्च की नींव पड़ी। राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय
रहे। समय के साथ एक तरफ इसरो ने दुनियां में झंडा गाड़ा तो सिनेजगत ने भी भारत के अंतरिक्ष अभियान को हाथों हाथ लिया। मंगलयान की सफलता पर अक्षय कुमार, विद्या बालन अभिनीत फिल्म ‘मिशन मंगल’ बनी। आगामी दिनों में विक्रम साराभाई और होमी जहांगीर भाभा पर वेब शो ‘राकेट ब्वायज’ आएगा। राकेश शर्मा की बायोपिक बनाने की भी तैयारी है।
अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए डा. विक्रम साराभाई के प्रयासों से वर्ष 1962 में इंडियन नेशनल कमेटी फार स्पेस रिसर्च का गठन किया गया, जिसे बाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में परिवर्तित किया गया। हमारे विज्ञानी पहले राकेट को साइकिल पर लादकर प्रक्षेपण स्थल पर ले गए थे। दूसरा राकेट काफी बड़ा और भारी था, जिसे बैलगाड़ी के सहारे प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया था। चुनौतियों के बावजूद काम जारी रहा। 8 जुलाई, 1980 को पहला स्वदेशी उपग्रह एसएलवी-3 लांच किया गया। इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम थे। वहां से जारी इस सफर में इसरो ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। इनमें भारतीय मंगलयान ने इसरो को दुनिया के नक्शे पर चमका दिया। मंगल तक पहुंचने के पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पर पहुंचने में सफलता मिली थी। चंद्रयान की सफलता के बाद ये दूसरी बड़ी सफलता थी।