नई दिल्ली, । Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के जंग के बीच यह सवाल उठ रहा है कि अब नाटो की क्या भूमिका होगी। दरअसल, यूक्रेन के नाटो की सदस्यता को लेकर ही रूस ने कड़ी आपत्ति दर्ज की थी। अमेरिका और नाटो के सदस्य देश यूक्रेन को नाटो का हिस्सा बनाना चाह रहे थे, जबकि रूस इसका विरोध कर रहा था। इसी बात को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी शुरू हुई। अमेरिका और नाटो सदस्य देशों ने कई बार रूस को यूक्रेन के खिलाफ जंग के लिए खबरदार भी किया था। अमेरिका हरदम कहता रहा है कि अगर रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ा तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यहां तक कहा था कि युद्ध की स्थिति में अमेरिका शांत नहीं बैठा रहेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नाटो क्या है। इसका लक्ष्य क्या है। यूक्रेन नाटो का सदस्य देश बनने का क्यों इच्छुक है। इसके पीछे बड़ी वजह क्या है।
क्या है नाटो और उसका मकसद
नार्थ एटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन यानी नाटो 1949 में बना एक सैन्य गठबंधन है। इसमें शुरुआत में 12 देश थे। इनमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल थे। इस संगठन का मूल सिद्धांत यह है कि यदि किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है तो बाकी देश उसकी मदद के लिए आगे आएंगे। इस संगठन का मूल उद्देश्य दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस के यूरोप में विस्तार को रोकना था। 1955 में तत्कालीन सोवियत रूस ने नाटो के जवाब में पूर्वी यूरोप के साम्यवादी देशों के साथ मिलकर अपना अलग सैन्य गठबंधन खड़ा किया था। इसे वारसा पैक्ट नाम दिया गया था, लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद वारसा पैक्ट का हिस्सा रहे कई देशों ने दल बदल लिया और वह नाटो में शामिल हो गए।
यूक्रेन और रूस के बीच नाटो फैक्टर
1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि यूक्रेन पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा था, जिसके एक तरफ रूस और दूसरी तरफ वह यूरोपीय संघ से सटा हुआ है। यूक्रेन में रूसी मूल के लोगों की बड़ी संख्या है। रूस और यूक्रेन के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। सामरिक रूप से रूस इसे अपना ही हिस्सा मानता रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने हाल में कहा था कि यूक्रेन वास्तव में रूस का ही हिस्सा है। पुतिन के इस बयान के पीछे नाटो को यह संदेश देना था कि वह यूक्रेन को सदस्यता के लिए प्रेरित नहीं करें। हालांकि, हाल के वर्षों में यूक्रेन का झुकाव पश्चिम देशों की तरफ बढ़ा है। उसका यूरोपीय संघ और नाटो का हिस्सा होने का इरादा उसके संविधान में भी लिखा है। यही बात रूस को खटकती रही है।
2- प्रो पंत का कहना है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन को नाटो में शामिल होने से रोकने के सख्त खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि यूक्रेन एक स्वतंत्र राष्ट्र है। वह अपनी सुरक्षा को लेकर निर्णय ले सकता है और गठबंधन बना सकता है। यूक्रेन नाटो का एक सहयोगी देश है। नाटो और यूक्रेन में इस बात को लेकर सहमति थी कि भविष्य में यूक्रेन कभी भी नाटो में शामिल हो सकता है।
3- उधर, रूस पश्चिमी देशों और अमेरिका से यह गारंटी चाहता है कि वह यूक्रेन को कभी भी नाटो का हिस्सा नहीं बनाएंगे। सवाल उठता है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन किन और बातों को लेकर चिंतित हैं। पुतिन का दावा है कि पश्चिमी देश नाटो का इस्तेमाल रूस के इलाकों में घुसने के लिए कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि नाटो पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य गतिविधियों पर विराम लगाए। पुतिन यह तर्क देते रहे हैं कि अमेरिका ने 1990 में किया वो वादा तोड़ दिया है। इसमें यह भरोसा दिया गया था कि नाटो पूर्व की ओर नहीं बढ़ेगा। वहीं अमेरिका का कहना है कि उसने कभी भी ऐसा कोई वादा नहीं किया था। नाटो का कहना है कि उसके कुछ सदस्य देशों की सीमाएं ही रूस से लगी हैं। यह एक सुरक्षात्मक गठबंधन हैं।
4- वर्ष 2014 में यूक्रेन के लोगों ने रूस समर्थक राष्ट्रपति को सत्ता से हटा दिया था। इसके कुछ महीने बाद ही रूस ने पूर्वी प्रायद्वीप क्राइमिया पर नियंत्रण कर लिया था। रूस ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े क्षेत्र पर नियंत्रण कर लेने वाले अलगाववादियों का भी खुला समर्थन किया। नाटो ने इसमें दखल नहीं दिया, लेकिन उसने पूर्वी यूरोपीय देशों में पहली बार गठबंधन के सैनिक तैनात कर दिए। इन सैनिकों को तैनात करने का उद्देश्य यह है कि यदि भविष्य में कभी रूस नाटो क्षेत्र की ओर बढ़े तो उसे रोका जा सके। नाटो ने बाल्टिक देशों और पूर्वी यूरोप में हवाई निगरानी भी बढ़ाई है, ताकि सदस्य देशों के वायु क्षेत्र में घुसने की कोशिश करने वाले रूसी विमानों को रोका जा सके, जबकि रूस यह कहता रहा है कि वह चाहता है कि ये बल इन क्षेत्रों से निकल जाएं।
5- नाटो की पूर्वी सीमाओं को मजबूत करने के लिए अमेरिका ने पोलैंड और रोमानिया में तीन हजार अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं। इसके अलावा लड़ाई के लिए तैयार 8,500 सैनिकों को अलर्ट पर रखा है। हालांकि, यूक्रेन में सैनिक तैनात करने की कोई योजना अभी नहीं है। इसके अलावा करीब बीस करोड़ डालर कीमत के हथियार भी नाटो ने यूक्रेन को भेजे हैं, जिनमें जेवलिन एंटी टैंक मिसाइलें भी शामिल हैं और स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें भी हैं। ब्रिटेन ने यूक्रेन को कम दूरी वाली दो हजार एंटी टैंक मिसाइलें दी हैं। पोलैंड में 350 सैनिक भेजे हैं और इस्टोनिया में अतिरिक्त 900 सैनिक भेजकर अपनी ताकत दोगुना की है।