नई दिल्ली,: यूक्रेन जंग अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। इस टकराव का सीधा असर अब पश्चिमी देशों पर पड़ रहा है। यही कारण है कि यूक्रेन जंग में नाटो संगठन भी सक्रिय हो गया है। उधर, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पास इस जंग में अब सीमित विकल्प बचे हैं। ऐसे में यह आशंका प्रबल हो गई है कि क्या राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूसी सेना को परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं। अगर परमाणु हमला हुआ तो इसके क्या परिणाम होंगे। इसका अमेरिका समेत पश्चिमी देशों पर क्या असर होगा। इस मामले में विशेषज्ञों की क्या राय है।
जटिल मोड़ पर पहुंचा यूक्रेन युद्ध
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है यूक्रेन जंग की स्थिति अब एक जटिल मोड़ पर पहुंच गई है। युद्ध के प्रारंभ में शायद ही पुतिन को इस बात का अंदाजा रहा होगा, जैसी स्थिति अब उत्पन्न हो गई है। छोटी सी यूक्रेनी सेना ने रूसी सेना के दांत खट्टे कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, इसके पीछे अमेरिका और पश्चिमी देशों की सैन्य मदद है, लेकिन इन मामलों ने युद्ध के सारे समीकरण बदल दिए हैं।
2- प्रो पंत का कहना है कि पुतिन के समक्ष अब सीमित विकल्प ही बचे हैं। उसमें एक विकल्प परमाणु युद्ध का है। पुतिन जरूर उहापोह की स्थिति में होंगे। पुतिन यह बात जानते हैं कि परमाणु युद्ध का प्रारंभ कितना खतरनाक होगा। अगर यूक्रेन जंग में परमाणु बमों का इस्तेमाल हुआ तो स्थिति बेहद जटिल होगी। परमाणु युद्ध के भय से वह अभी तक अपना काम करते आए हैं। हालांकि, रूस की व्यवस्था में पुतिन परमाणु हमले के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है, लेकिन इसके भीषण परिणामों की आंच उनकी कुर्सी तक जाएगी। यह बात पुतिन अच्छे से जानते हैं।
3- उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन युद्ध में परमाणु बम के इस्तेमाल की बात कह रहे थे, तब वह पश्चिमी देशों और अमेरिका को इस जंग से दूर रहने के लिए दबाव बना रहे थे। प्रो पंत ने कहा कि लेकिन सात महीनों में रूसी सेना की स्थिति कहीं न कहीं कमजोर हुई है। शुरुआत में युद्ध में रक्षात्मक रूप से जंग लड़ने वाली यूक्रेनी सेना अब आक्रामक हो गई है। यूक्रेनी सेना ने कई जगहों से रूसी सेना को पीछे घकेला है। कई जगहों पर यूक्रेनी सेना ने रूसी सेना को बेदखल किया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि रूस के कब्जे में गई प्रत्येक इंच जमीन को वापस लेने तक लड़ाई जारी रहेगी। इसी एलान के चलते यूक्रेनी सेना रूसी सेना से भिड़ रही है।
4- प्रो पंत ने कहा कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी रूसी राष्ट्रपति पुतिन की किरकिरी हुई है। चारों यूक्रेनी क्षेत्रों के रूस में विलय के बाद कई मुल्कों ने इसका विरोध किया है। रूस के मित्र राष्ट्र तुर्की ने भी इस मामले में पुतिन को समर्थन देने से इन्कार कर दिया है। यह खबर रूसी राष्ट्रपति के लिए कतई शुभ नहीं हो सकती है। कूटनीतिक मोर्चे पर यह पुतिन को बड़ा झटका है।
5- प्रो पंत ने कहा कि अगर रूसी सेना ने यूक्रेन पर परमाणु हमले किए तो यह हमला नाटो में माना जाएगा, ऐसे में यह जंग रूस यूक्रेन के बीच सीमित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर इस जंग में नाटो सैनिक शामिल होते हैं तो इस युद्ध को महायुद्ध में तब्दील होने से कोई नहीं रोक सकता है। प्रो पंत ने कहा कि अगर इस युद्ध में नाटो शामिल होता है तो अमेरिका का शामिल होना मजबूरी होगी। फिलहाल उन्होंने कहा कि आज युद्ध जिस स्थिति में पहुंच गया है, वह खतरनाक है।
पुतिन ने दिया खतरनाक संदेश
रूस ने इस बात की पुष्टि की है कि रूसी सैनिकों ने कलिनिनग्राद के पश्चिमी एन्क्लेव में नकली परमाणु मिसाइल हमले किए हैं। रूसी रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पोलैंड और लिथुआनिया से लगे एन्क्लेव में रूस ने परमाणु-सक्षम इस्कंदर मोबाइल बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के नकली इलेक्ट्रानिक लान्च का अभ्यास किया। खास बात यह है कि यह अभ्यास ऐसे समय पर किया गया है, जब पिछले हफ्ते रूस यूक्रेन जंग में तेजी आई है। रूसी सेना में सैनिकों की भारी कमी आई है। ऐसे में पुतिन का यह कदम खतरनाक संदेश दे रहे हैं।
आक्रामक हुआ NATO
रूस यूक्रेन तनाव अपने चरम पर इसलिए है क्योंकि नाटो पुतिन की धमकियों का उन्हीं की भाषा में जवाब दे रहा है। कुछ दिनों पहले नाटो प्रमुख ने कहा था कि पुतिन के ये कदम दुनिया को परमाणु तबाही के और करीब ला देगा। नाटो प्रमुख ने कहा कि हम यूक्रेन को अपने समर्थन के लिए प्रतिबद्ध हैं। यूक्रेन न रूसी हमले से अपना बचाव कर रहा है। उधर, अमेरिका का रुख भी सख्त हो गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी कहा है कि यूक्रेन को अपनी रक्षा के लिए जिन उपकरणों की जरूरत होगा, वह मुहैया कराया जाएगा।