नई दिल्ली तीन कृषि कानून के विरोध में सालभर से अधिक चले किसान आंदाेलन के आंदोलनकारियों का अंर्तकलह एक-एककर सामने आ रहा है। आंदोलन का नेतृत्वकर्ता संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कद्दावर किसान नेता शिव कुमार कक्का व रिषिपाल अंबावता समेत कई ने माेर्चा के अन्य नेताओं पर किसानों के नाम पर सियासी रोटियां सेंकने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को अपनी राह अलग कर ली है। उक्त नेताओं ने दो टूक कहा कि किसान आंदोलन को वामपंथी राजनीतिक दल (माकपा व भाकपा) ने हाईजैक कर लिया था और ये देश में अस्थिर माहौल की तैयारी में थे। ये आंदोलनजीवी किसानों के साथ धोखेबाजी कर रहे थे।
31 जुलाई और 22 अगस्त को जंतर-मंतर पर होगी पंचायत
नए गुट ने आइटीओ स्थित एनडी तिवारी भवन में एसकेएम (अराजनैतिक) की घोषणा करते हुए पंजाब के सुनाम में 31 जुलाई तथा 22 अगस्त को जंतर-मंतर पर किसानों की पंचायत बुलाकर आंदोलन को नए सिरे से धार देने की घोषणा की है।
सियासी लाभ के लिए शुरू हुआ था आंदोलन
कक्का ने कहा कि एसकेएम के नेता डा. दर्शनपाल, योगेंद्र यादव, बलबीर सिंह, हरमीत कदियां, कुलवंत संधू, राजेवाल, हन्नान मौल्लाह जैसे नेता सियासी लाभ लेने के लिए आंदोलन शुरू किया था और इसे जल्द खत्म करने की कोशिश में थे। इसलिए एसकेएम के बाकि सदस्यों को अंधेरे में रखते हुए सरकार से अलग से बातचीत की जा रही थी और जैसे ही पिछले वर्ष 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की, वैसे ही इनमें से कुछ नेता सिंघु बार्डर से टेंट, तंबू उखाड़कर पंजाब चुनाव में कूद पड़े। उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य चुनावों में इन नेताओं ने खुलकर चुनाव प्रचार किया।