हालात खराब लेकिन उम्मीद बरकरार
देश में सरकार के खिलाफ कई हिंसक प्रदर्शन हुए लेकिन ये लाइनें बादस्तूर जारी रही हैं। इतना ही नहीं इन आटो और टैक्सी मालिकों ने भी अपनी जगह नहीं बदली है। भले ही कितनी ही मुश्किलों का उन्हें सामना करना पड़ा है। इमरजेंसी, कर्फ्यू, आंसू गैस और गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भागने से बिगड़े हालातों का इन लोगों ने डटकर सामना किया है।
कब तक करना पड़ेगा इंतजार, नहीं मालूम
आलम ये है कि यहां के पेट्रोल पंपों पर लगी लाइनें लंबी तो हो रही हैं लेकिन कम नहीं हो रही हैं। सभी को उम्मीद है कि एक दिन उनका ये इंतजार खत्म होगा और पेट्रोल डीजल की आपूर्ति सामान्य हो जाएगी, जिसके बाद वो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में वापस आ जाएंगे। हालांकि सच्चाई ये है कि इसकी अब तक कोई गारंटी नहीं है कि उन्हें कितने दिन और इंतजार करना पड़ेगा।
ताश खेलकर दिन बिता रहे आटो टैक्सी चालक
56 वर्षीय विपुल दिसनायक उन आटो चालकों में से एक है जो कोलंबो के एक पेट्रोल पंप पर अपने साथियों के साथ उस दिन का इंतजार कर रहा है जब उनका ये इंतजार खत्म होगा। उसने एएफपी को बताया कि हाल के दिनों में कई बार हालात इस कदर बिगड़े की खुद पर ही गुस्सा आने लगा। वो बीत छह दिनों से यहां पर है। अधिकतर चालक यहां पर ताश खेलकर ही अपना वक्त गुजारते हैं।