हालांकि इस सुनवाई के एजेंडे में बताया गया है कि ट्विटर के अधिकारियों से “नागरिकों की डेटा सुरक्षा और गोपनीयता” के विषय पर पूछताछ की जाएगी।
यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) के साथ दायर एक शिकायत में ज़टको ने दावा किया कि ट्विटर ने जानबूझकर एक “भारत सरकार के एजेंट को कंपनी के सिस्टम और यूजर डाटा तक सीधे पहुंच की अनुमति दी। एग्जीक्यूटिव टीम का मानना था कि भारत सरकार कंपनी पेरोल पर एजेंटों को रखने में सफल रही है। यहां तक कि कंपनी ने यूजर्स को यह खुलासा नहीं किया है। ट्विटर में शामिल होने से पहले, ज़टको ने Google, स्ट्राइप और यूएस डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (DARPA) में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया।
ट्विटर ने ज़टको द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि ज़टको को जनवरी 2022 में अप्रभावी नेतृत्व और खराब प्रदर्शन के लिए कंपनी से निकाल दिया गया था। फर्म ने एक बयान में कहा,कि अब तक जो भी ट्विटर और हमारी प्राइवेसी और डाटा सिक्योरिटी प्रेक्टिस के बारे में देखा गया है वह एक झूठी कहानी है ।
ज़टको के ट्विटर पर आरोप उसके ग्राहकों और उसके शेयरधारकों का ध्यान आकर्षित करने और नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए गए हैं। कंपनी ने पहले भी कहा कि सुरक्षा और गोपनीयता लंबे समय से ट्विटर पर कंपनी की प्राथमिकता रही है और आगे भी रहेगी।
ज़टको के खुलासे तब हुए जब ट्विटर अपने कुछ कंटेंट और अकाउंट ब्लॉकिंग ऑर्डर को लेकर केंद्र के साथ कानूनी लड़ाई में उतरी। बता दें कि पिछले महीने सोशल मीडिया कंपनी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख कर 39 लिंक को ब्लॉक करने के सरकार के आदेश को पलटने की मांग की थी। ट्विटर ने तर्क दिया है कि ब्लॉक करने के आदेश कानून के दायरे से बाहर थे।