लखनऊ। कंप्रेस्ड नेचुरल गैस यानी सीएनजी की दरें पेट्रोल की दरों के बराबर पहुंच गई हैं। ऐसे में सीएनजी को सस्ता और सुरक्षित विकल्प बनाते का गैस कंपनियों का दावा फेल होता दिख रहा है। गैस कंपनियां भी समझ रही है अगर इसी तरह सीएनजी की दरें बढ़ती रही तो फिर आने वाले समय में इस पर निर्भरता कम हो जाएगी। हालात से निपटने के लिए गैस कंपनियों ने सरकार से टैक्स घटाने के लिए गुहार लगाई है।
लखनऊ सहित पांच शहरों में सीएनजी की आपूर्ति करने वाली ग्रीन गैस लिमिटेड ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को पत्र भेजकर टैक्स घटाने की मांग की है । कंपनी के निदेशक जेपी सिंह के मुताबिक सीएनजी की कीमतें लगातार बढ़ानी पड़ रही हैं । अंतरराष्ट्रीय और घरेलू गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं जिसकी वजह से कीमतें ऊपर जा रहे हैं। उपभोक्ताओं को कम दरों पर सीएनजी उपलब्ध कराने के लिए इस समय टैक्स कम करना ही एक मात्र रास्ता है। राज्य सरकार सीएनजी पर जहां 12, 5 परसेंट वैट ले रही है।
वहीं, केंद्र सरकार 14 ,5 परसेंट एक्साइज ड्यूटी ले रही है। हमारी मांग है कि सरकार पेट्रोल और डीजल की तरह वैट और एक्साइज ड्यूटी घटा दे तो उपभोक्ताओं को आठ से दस रुपए तक की राहत तत्काल मिल सकती है।वहीं, बाराबंकी और गोंडा सहित पूर्वांचल के 17 जिलों में सीएनजी सप्लाई करने वाली टोरेंन लिमिटेड ने भी सरकार को टैक्स कम करने के लिए पत्र लिखा है । दरअसल पिछले कुछ महीनों में सीएनजी की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है । जनवरी से लेकर अब तक 25 रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है लखनऊ में सीएनजी के दाम जहां 96.10 रुपये हैं। वहीं, पेट्रोल 96.40 रुपये में मिल रहा है यानी पेट्रोल और सीएनजी की दरों के बीच केवल 30 पैसे का अंतर है जानकार कहते हैं कि अगर सरकार ने टैक्स नहीं हटाया तो सीएनजी की कीमतें 100 के पार निकलते देर नहीं लगेगी