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UP: नई पॉलिसी का ऐलान, अब ऑक्‍सीजन यूनिट लगाने वालों को मिलेगी 25% तक की सब्सिडी


  • नई दिल्ली. कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus 2nd wave) के दौरान इस बार कई राज्यों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा. लेकिन आने वाले दिनों में ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश में योगी आदित्‍यनाथ की सरकार ने नई पॉलिसी का ऐलान किया है. इसके तहत ऑक्सीजन यूनिट लगाने वाले लोगों को 25 फीसदी तक की सब्सिडी दी जाएगी. साथ ही स्टाम्प ड्यूटी पर भी इन्हें कोई पैसा नहीं देना होगा. नई पॉलिसी के तहत सरकार का मकसद है ऑक्सीजन यूनिट लगाने वालों को प्रोत्साहित करना.

    कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में हर रोज़ 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी. जबकि राज्य में ऑक्सीजन तैयार करने की अपनी क्षमता सिर्फ 339 मीट्रिक टन की थी. लिहाज़ा राज्य सरकार को बाक़ी बचे 894 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दूसरे राज्यों से मंगाने पड़े. अब सरकार ने इस कमी को दूर करने के लिए नई पॉलिसी का ऐलान किया है. इस पॉलिसी की कॉपी न्यूज़ 18 के पास है. राज्यपाल ने भी इसे हरी झंडी दे दी है. इसमें लिखा है, ‘ऑक्सीजन उत्पादन के पूरे बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और उत्तर प्रदेश को ऑक्सीजन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है. हम राज्य में ऑक्सीजन उत्पादन के लिए निवेश को प्रोत्साहित करेंगे जिससे रोजगार भी पैदा होंगे.’

    पॉलिसी की शर्तें

    सरकार की नई नीति के तहत ऑक्सीजन उत्पादन को बढ़ाया जाएगा. इसमें ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर बनाने पर जोर दिया जाएगा. इसके अलावा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर , क्रायोजेनिक टैंकर और ऑक्सीजन वितरण और परिवहन के लिए उपकरण और यूनिट के लिए ज़मीन और मशीनरी खरीदकर 50 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने वालों को प्रोत्साहित किया जाएगा. यूनिट लगाने वालों को बुंदेलखंड और पूर्वी यूपी में 25 प्रतिशत, मध्य यूपी में 20 प्रतिशत और पश्चिम यूपी में इकाई स्थापित करने पर 15 प्रतिशत की कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी. इन क्षेत्रों की यूनिट को क्रमश: 100 प्रतिशत, 75 प्रतिशत और 50 प्रतिशत की स्टाम्प शुल्क छूट मिलेगी.

    कमेटी करेगी जांच

    ये नीति अगले 30 महीनों के लिए प्रभावी होगी. इस नीति के तहत निवेश प्रस्तावों की जांच के लिए अधिकारियों की एक समिति गठित की गई है और 100 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी के लिए मंत्री के पास भेजा जाएगा, जबकि 100 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश करने वाली परियोजनाओं को राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा.