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UP: मैनपुरी और रामपुर उपचुनाव जीत कर बड़ा सियासी संदेश देना चाहेगी भाजपा,


लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुए लोक सभा उपुचनाव में आजमगढ़ और रामपुर के समाजवादी पार्टी के गढ़ों को ध्वस्त करने और लखीमपुर खीरी की गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट फिर पार्टी की झोली में डालने के बाद भारतीय जनता पार्टी अब मैनपुरी लोक सभा व रामपुर व खतौली विधान सभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों को पूरी आक्रामकता से लड़ेगी। मैनपुरी लोक सभा और रामपुर विधान सभा सीटें अब तक भाजपा के लिए अभेद्य दुर्ग साबित हुई हैं। भाजपा के लिए इन दोनों सीटों पर खोने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन इन्हें जीतने के खास राजनीतिक मायने होंगे और संदेश भी।

यूपी में पांच दिसंबर को होंगे उपचुनाव

मैनपुरी लोक सभा और रामपुर व खतौली विधान सभा सीटों पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होंगे। मैनपुरी लोक सभा सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन और रामपुर विधान सभा सीट मोहम्मद आजम खां की विधान सभा सदस्यता समाप्त होने के कारण रिक्त हुई हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर इन दोनों सीटों पर पार्टी का दबदबा कायम रखने की चुनौती होगी।

सपा को मिल सकता सहानुभूति का लाभ

2019 के लोक सभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव जैसे कद्दावर नेता ने सपा-बसपा गठबंधन की बदौलत यादव और शाक्य बाहुल्य मैनपुरी सीट 94389 वोटों से जीत हासिल की थी। हालांकि 2022 में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा ने मैनपुरी लोक सभा क्षेत्र की पांच में से दो विधान सभा सीटें- मैनपुरी और भोगांव को जीतकर सपा के गढ़ में अपनी उपस्थिति का अहसास कराया था। सपा को मैनपुरी लोक सभा सीट पर मुलायम सिंह यादव के निधन से उपजी सहानुभूति का लाभ मिलने की संभावना है।

त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा मिल सकता लाभ

भाजपा के रणनीतिकार मान रहे हैं कि आजमगढ़ जिले की सभी विधान सभा सीटें सपा के खाते में दर्ज होने के बावजूद लोक सभा उप चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले में मैनपुरी सीट पर केसरिया ध्वज फहराया था। इसे देखते हुए मैनपुरी में जहां उसके दो विधायक हैं, यदि पार्टी आक्रामकता से चुनाव लड़ती है तो परिणाम उसके पक्ष में आ सकता है। मैनपुरी सीट पर भाजपा की ओर से पिछड़ी जाति का उम्मीदवार उतारे जाने की संभावना है। उम्मीदवार को लेकर पार्टी में मंथन जारी है।

आजम का सफाया करने उतरेगी भाजपा

रामपुर लोक सभा सीट पर कब्जा जमाने के बाद भाजपा अब बढ़े मनोबल से रामपुर विधान सभा सीट को जीत कर यहां आजम खां के सियासी प्रभाव का सफाया करना भी चाहेगी। वर्ष 1996 में हुए विधान सभा चुनाव को अपवाद मानें तो रामपुर सीट पर आजम का दबदबा पिछले चार दशकों से कायम रहा है। 1996 में आजम रामपुर सीट कांग्रेस के अफरोज अली खां से हार गए थे।

पसमांदा मुसलमानों में पैठ की कोशिश

मुस्लिम बहुल रामपुर सीट पर अपने समीकरण साधने के लिए भाजपा पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों के बीच पैठ बनाने की रणनीति को अमली जामा पहना रही है। रामपुर फतह करने के लिए पार्टी इस धारणा पर भी काम कर रही है कि यदि वहां आजम के शुभचिंतकों की बड़ी संख्या है तो मुस्लिम बिरादरी में उनके सताये हुए लोगों की भी कमी नहीं है।

खतौली सीट पर भी दमखम से लड़ेगी भाजपा

मुजफ्फरनगर दंगे में भाजपा विधायक विक्रम सैनी को सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता रद होने से रिक्त जिले की खतौली सीट पर भी भाजपा पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी। वर्ष 2012 व 2017 में हुए विधान सभा चुनावों में भाजपा ने यहां कड़े मुकाबले में रालोद को हराया था। विक्रम सैनी की सीट को रिक्त घोषित कराने के सिलसिले में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने जिस तरह की सक्रियता दिखाई, भाजपा इस सीट पर फिर अपना परचम लहरा कर सपा-रालोद गठबंधन को भी सबक सिखाना चाहेगी।