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अखिलेश सरकार का शासनादेश रद्द कर योगी सरकार ने ठीक किया: हाईकोर्ट


  1. लखनऊ. अखिलेश सरकार (Akhilesh Government) द्वारा 7 शिक्षण संस्थानों के प्रान्तीयकरण से जुड़े शासनादेश को योगी सरकार (Yogi Government) द्वारा रद्द करने के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (High Court Lucknow Bench) ने सही ठहराया है. हाईकोर्ट ने शासनादेश जारी करने की मंशा पर भी संदेह जताया है. हाईकोर्ट की टिप्पणी के मुताबिक चुनाव को देखते हुए कुछ लोगों को फ़ायदा पहुंचाने की नीयत से शासनादेश को जारी करना प्रतीत होता है. सुभाष कुमार और 78 अन्य समेत सैकड़ों अध्यापकों-कर्मचारियों की ओर से अलग-अलग दाख़िल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने फैसला सुनाया.

याचिकाओं के मुताबिक 23 दिसंबर 2016 को तत्कालीन यूपी सरकार ने 7 शिक्षण संस्थानों के प्रान्तीयकरण (टेकओवर) का शासनादेश जारी किया था. अखिलेश सरकार के इस शासनादेश के चलते कई निजी संस्थानों को सरकारी होने का लाभ मिलना शुरू हो गया था. साल 2018 में इस शासनादेश को योगी सरकार ने रद्द कर दिया था, जिसको हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि संस्थानों के प्रान्तीयकरण के लिए ज़रूरी कार्रवाई को तत्कालीन सरकार ने पूरा नहीं किया था.

यह है कोर्ट का फैसला

कोर्ट ने फैसले में कहा कि प्रान्तीयकरण से पहले न पदों की संस्तुति ली गई और न ही वित्तीय मंजूरी. 8 मार्च 2017 को विभाग के प्रमुख सचिव ने इस मामले की फाइल संबंधित मंत्री को भेजी थी. मंत्री ने फाइल पर दस्तखत तो किये लेकिन तारीख़ नहीं डाली. फाइल तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास गई. उन्होंने भी दस्तखत तो किए लेकिन तारीख़ नहीं डाली. पुनः प्रमुख सचिव ने 14 मार्च 2017 को दस्तखत किए और 14 मार्च 2017 की तारीख़ डाली. कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 8 मार्च या 14 मार्च को मंजूरी दी ये स्पष्ट नहीं है जबकि 4 जनवरी 2017 को विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई थी और 11 मार्च को हुई गिनती में तत्कालीन सरकार चुनाव हार गई थी.