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UP विधान सभा में ध्वनि मत से पारित हुआ लव जिहाद विधेयक, अब होगी ये परीक्षा


नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधान सभा (Vidhansabha) में बजट सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार द्वारा लाये गये उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 को बुधवार को पारित कर दिया। हांलाकि अभी यह विधेयक विधान परिषद में पास होने के बाद राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। उसके बाद यह एक कानून बन जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 पेश किया। 28 नवंबर, 2020 को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के साथ ही उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू हो गया।

विधेयक 2021 को पारित होने के बाद विधेयक का विरोध करते हुये कांग्रेस की नेता अराधना मिश्रा ने कहा, संविधान हमें निजता का अधिकार देता है, शादी विवाह किसी भी व्यक्ति का निजी मामला है और यदि कोई जोर जबरदस्ती नही है तो राज्य का उसमें हस्तक्षेप करना संविधान के विरूध्द है। उन्होंने इसे प्रवर समीति में भेजने की मांग की।

विभिन्न श्रेणी में 50 हजार रुपये तक है जुर्माना
बहुजन समाज पार्टी के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि यह विधेयक संविधान विरोधी है। उन्होंने कहा कि इसे सरकार वापस ले या इसे प्रवर समीति के पास विचार विमर्श के लिये भेजे। विधानसभा में पास होने के बाद यह विधेयक अब विधानपरिषद जायेगा। गौरतलब है कि विधेयक लाये जाने से पहले उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नवंबर 2020 में उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इसमें जबरन या धोखे से धर्मांतरण कराये जाने और शादी करने पर दस वर्ष की कैद और विभिन्न श्रेणी में 50 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

धर्म परिवर्तन अपराध की श्रेणी में
विधेयक में विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष के कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। विधेयक के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा जो छल, कपट, प्रलोभन, बलपूर्वक या गलत तरीके से प्रभाव डाल कर विवाह या किसी कपट रीति से एक धर्म से दूसरे धर्म में लाने के लिए किया जा रहा हो। इसे गैर जमानती संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखने और उससे संबंधित मुकदमे को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय बनाए जाने का प्रावधान किया गया है।

इन विधेयक को मिली मंजूरी
इसके अलावा बुधवार को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2012, उत्तर प्रदेश शैक्षिक संस्था (अध्यापक संवर्ग आरक्षण) विधेयक-2021 व उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा मान्यकरण विधेयक-2021 भी पारित किया गया।