आयुर्वेद महज एक चिकित्सा पद्धति नहीं, इसे एक समग्र मानव दर्शन के रूप में वर्णित किया जा सकता है। यह हमारी एक ऐसी विरासत है, जिसके संपूर्ण विश्व का कल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है।
कोरोना काल में किस प्रकार दुनिया ने आयुर्वेद के सिद्धांतों को अपनाया और लाभ पाया, यह हम सबों ने देखा। आयुर्वेद जीवन का एक समग्र विज्ञान है और यही कारण है कि आज दुनिया भर में इसकी स्वीकार्यता है।
आयुर्वेद केवल किसी रोगी के उपचार तक सीमित नहीं , बल्कि भारतीय दर्शन में इसे जीवन के मूल ज्ञान के रूप में स्वीकारा जाता है इसलिए इसे पंचम वेद की संज्ञा दी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद जितना प्राचीन है, उतना ही वैज्ञानिक।
यही कारण है कि इसका वर्चस्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। पिछले दिनों संपन्न एक वैश्विक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डालते कहा था कि प्लांट से लेकर आप की प्लेट तक शारीरिक मजबूती से लेकर मानसिक कल्याण तक आयुर्वेद अत्यधिक प्रभावी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से आज आयुर्वेद की ज्ञान संपदा को एक नई ऊर्जा मिल रही है। उनके नेतृत्व में आज भारत सरकार 75,000 हेक्टेयर भूमि पर जड़ी-बूटी की खेती को प्रोत्साहन दे रही है। जिसमें उत्तराखंड भी एक बड़ा सहयोगी है।
प्रदेश में जड़ी-बूटी के व्यावसायिक उत्पादन बढ़ाने को लेकर प्रयास कर रही है। उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग और आयुर्वेद के सबसे बड़े केंद्र के रूप में विकसित किया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आचार्य बालकृष्ण के जन्म उत्सव पर नेचुरोपैथी डाक्टरों के पंजीकरण की घोषणा की। कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि पतंजलि उत्तराखंड में विश्वस्तरीय नेचुरोपैथी अस्पताल खोलने में सरकार की मदद करे।
उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर शिक्षा को भी आजाद करने का कार्य किया है। हर घर तिरंगा कार्यक्रम के लिए पतंजलि की ओर से प्रदेश सरकार के कार्यालयों पर 50,000 तिरंगा और संस्थाओं को डेढ़ लाख तिरंगा दिए जाने की घोषणा की प्रशंसा की।
कार्यक्रम को योग गुरु बाबा रामदेव, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह, कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत , सुबोध उनियाल आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया का लोकार्पण भी किया गया।