डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनाम घेब्रेसस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने शनिवार को कहा कि तेजी से फैल रहा मंकीपाक्स का प्रकोप वैश्विक हेल्थ इमरजेंसी का प्रतिनिधित्व करता है। वैश्विक हेल्थ इमरजेंसी का मतलब विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी उच्चतम स्तर का अलर्ट है। डब्ल्यूएचओ की ओर से घोषित वैश्विक हेल्थ इमरजेंसी अंतर्राष्ट्रीय चिंता की ओर इशारा करती है। वायरस जनित बीमारी के मामले में इसे एक अलार्म के तौर लिया जाता है।
मंकीपाक्स को लेकर वैश्विक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किए जाने का मतलब है कि इस वायरस के संक्रमण से निपटने को लेकर समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस कदम से वायरस के संक्रमण पर काबू पाने के लिए टीके और इलाज के लिए साझा सहयोग के रास्ते खुलेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक मंकीपाक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस है, इससे संक्रमित होने पर चेचक के रोगियों के लक्षण पाए जाते हैं।
वहीं समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि पूरी दुनिया में मंकीपाक्स के 14,000 मामलों की पुष्टि हुई है। अफ्रीका में पांच लोगों की मंकीपाक्स से मौत हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ज्यादातर मामले स्पेन, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड में पाए गए हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीपाक्स वायरल जूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है। इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं। हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है।
भारत में भी उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है जो हालात पर नजर रखेगी। मंकीपाक्स भारत में भी दस्तक दे चुका है। केरल में मंकीपाक्स के कुल तीन मामले सामने आ चुके हैं। पिछले सप्ताह केरल के कन्नूर जिले में दूसरा मामला मिला था जबकि पहला मामला दक्षिण केरल के कोल्लम जिले से 14 जुलाई को सामने आया था। केरल सरकार मंकीपाक्स को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर चुकी है। सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को इस एसओपी का पालन करना होगा।