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जयशंकर और एनएसए डोभाल का चीन के विदेश मंत्री को स्पष्ट संदेश


नई दिल्ली। भारत के साथ सीमा विवाद को दरकिनार कर शेष द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिश में जुटे चीन को इससे ज्यादा स्पष्ट संदेश नहीं दिया जा सकता। चीन के विदेश मंत्री वांग यी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक बता दिया कि जब तक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों की पूर्ण वापसी के साथ मई 2020 से पहले जैसी स्थिति बहाल नहीं की जाती है तब तक दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य नहीं किया जा सकता। इन बैठकों में चीन की तरफ से द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार के लिए तीन सुझाव दिए गए हैं जिसमें दीर्घकालिक लक्ष्यों के साथ रिश्तों को देखने की बात है। पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद पहली बार चीन के किसी आला मंत्री की यह भारत यात्रा थी।

शुक्रवार को वांग यी और जयशंकर की अध्यक्षता में दोनों पक्षों के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली, जबकि डोभाल के साथ उनकी एक घंटे वार्ता हुई। गलवन घाटी में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद जयशंकर और वांग की तीन बार दूसरे देशों (रूस और ताजिकिस्तान) में मुलाकात हो चुकी है। असलियत में दिसंबर 2019 के बाद से दोनों तरफ से एक-दूसरे देश में की गई यह सबसे बड़ी आधिकारिक यात्रा है। बैठक के बाद जयशंकर ने कहा, ‘मैंने बहुत ईमानदारी से चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर भारत की राष्ट्रीय भावना से उन्हें अवगत कराया। सीमा पर अमन व शांति भारत व चीन के द्विपक्षीय रिश्तों की सबसे आवश्यक बुनियाद है। अगर हम रिश्तों को सुधारने को लेकर प्रतिबद्ध हैं तो हमारी कोशिशों में भी यह गंभीरता से दिखाई देनी चाहिए। अभी सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर सैन्य कमांडरों और विदेश मंत्रालयों के बीच वार्ता हो रही है जिसकी रफ्तार सुस्त है और हमारी बातचीत का एक मकसद यह है कि इसे तेज किया जाए।’

जयशकंर से यह सवाल पूछा गया कि क्या दोनों देशों के बीच सैनिकों को मई 2020 की घुसपैठ से पहले वाली स्थिति में ले जाने की कोई समय सीमा तय हुई है तो उनका जवाब था, ‘यह काम चल रहा है और कुछ प्रगति भी हुई है। मेरा मानना है कि अभी सीमा पर स्थिति असामान्य है। बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है जो दोनों देशों के बीच वर्ष 1996 में हुई संधि का उल्लंघन है। हमारे द्विपक्षीय रिश्ते भी अभी सामान्य नहीं हैं।’