भोपाल, डब्ल्यू एच ओ (WHO) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 10,000 लोगों में से 2,443 लोग मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। दूसरी ओर, यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15 से 24 वर्ष की आयु के सात युवाओं में से एक अवसादग्रस्त रहता है।
20 देशों में इसका औसत 83 प्रतिशत
इसे लेकर 21 देशों के 20 हजार बच्चों और वयस्कों पर किए गए इस सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में केवल 41 प्रतिशत युवाओं ने कहा कि उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए मदद की जरूरत है, जबकि 20 देशों में इसका औसत 83 प्रतिशत है।
लेकिन भारत की बात करें तो यहां कठिन समय में सहायता की प्रवृत्ति अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम पाई गई है, इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि ऐसे लोगों में अवसाद के लक्षणों को पहचानें और समय रहते उनकी सहायता करें।
भारतीव परिवेश में इन समस्याओं से पैदा होता है अवसाद
इस बारे में सुसाइड प्रिवेंशन टास्क फोर्स के सदस्य मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि अधिकतर भारतीय परिवेश में पत्नी या पति के प्रेम संबध, पत्नी का मायके चले जाना, सगाई या शादी का टूट जाना, कार्यालय, कॉलेज या स्कूल की किसी समस्या की वजह से तनाव में घिर जाते हैं।
परीक्षा या साक्षात्कार में असफलता, प्रेमी-प्रेमिका के बीच किसी बात को लेकर झगड़े, आर्थिक तंगी, माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा न उतरना, लगातार असफलता जैसी स्थितियों में व्यक्ति मानसिक रूप से टूट जाता है। ऐसे मौकों पर आसपास के लोगों को इन समस्याओं को झेल रहे लोगों का खास ध्यान रखना चाहिए।
ये हैं मानसिक रोगियों के प्रमुख लक्षण
- ज्यादा नींद आने लगेगी या नींद चली जाएगी
- लोगों से दूरी बनाने लगेगा
- छोटी सी बात पर गुस्सा होगा या बात पर इमोशनल हो जाएगा
- व्यक्ति की डाइट असमान्य हो जाता है, वह या तो कम खाना शुरू कर देता है या ज्यादा खाने लगता है
- अपनी पसंदीदा चीजें दूसरों को देना शुरू कर देगा
- अपनी पिछली किसी भी गलती के लिए माफी मांगें
डिप्रेशन से बचने के लिए ये उपाय करने चाहिए
- ऐसे व्यक्ति की बात को लेकर कोई धारणा न बनाएं बल्कि उसे ध्यान से सुनें
- सुनकर समस्या का समाधान करने में मदद करें
- स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मनोचिकित्सक से सलाह लें
- ऐसे व्यक्ति को कभी अकेला न छोड़ें
- प्रेरणादायक वीडियो दिखाएं, लोगों के मजेदार किस्से सुनाएं